Manu Smriti
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वैतानिकं च जुहुयादग्निहोत्रं यथाविधि ।दर्शं अस्कन्दयन्पर्व पौर्णमासं च योगतः ।।6/9

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
शास्त्रोक्त विधि से अग्निहोत्र करें। दर्शन, पौर्ण मास इन नियमित यज्ञों को भी करता रहे।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
और वैतानिक अर्थात् वानप्रस्थ अवस्था में किया जाने वाला अग्निहोत्र विधि - अनुसार अमावस्या और पूर्णिमा के पर्वयज्ञों को न छोड़ते हुए निष्ठापूर्वक हवन करे ।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
नियमानुसार वैतानिक अग्निहोत्र करे। दर्श और पौर्णमास पर्व को यथाशक्ति छूटने न दें।
 
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