Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
विविध प्रकार के मुनि अग्नि से, तथा पवित्र शाक, मूल, फल इनसे शास्त्रानुसार यथाविधि पंच महायज्ञों को करें।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
नाना प्रकार के सामा आदि अन्न सुन्दर - सुन्दर शाक, मूल, फल, फूल, कंदादि से पूवोक्त महायज्ञों को करे ।
पूवोक्त विहित विधि के अनुसार............... (स० प्र० पंच्चम समु०)
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
वनस्थ होने पर वानप्रस्थाश्रमी मुनि सामा आदि पवित्र अन्नों, जोकि वानप्रस्थाश्रमी मुनि लोगों के अन्न हैं, और शाक, कन्द, मूल, फलों से विधिपूर्वक पूर्वोक्त पांचों महायज्ञों को करे।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
(विविधैः मेध्यैः मुनि अन्नैः) अनेक प्रकार के पवित्र मुनि अन्नों (शाक मूल फलेन वा) या शाक-मूल-फल से (एतान् एव महायज्ञान्) इन महायज्ञों को (विधिपूर्वकम्) नियमानुसार (निवपेत्) करे।