Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
धर्मज्ञाता ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य ऐसी अपनी जाति की स्त्री की मृत्यु में उसका शवदाह, अग्निहोत्र को अग्नि व यज्ञपात्रों से धर्मानुसार करें।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
इस पूर्वोक्त आचरण का पालन करने वाली स्त्री को यदि वह पति से पहले ही मर जाये तो धर्म का जानने वाला व्यक्ति यज्ञपात्रों का प्रयोग करके उसी प्रकार अग्नि होत्र विधि से उसका दाहसंस्कार करे ।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
(एवं वृत्ताम्) ऐसे चलन वाली (सवर्णाम्) अपने वर्ण की (स्त्रीम्) स्त्री को (पूर्वमारिणीम्) अगर वह पहले मर जाय तो (धर्मवित् द्विजातिः) धर्मज्ञ द्विज पुरुष उसे (अग्निहोत्रेण यज्ञपात्रैः च दाहयेत्) अग्निहोत्र आदि करके जलावे।