Manu Smriti
 HOME >> SHLOK >> COMMENTARY
पतिं या नाभिचरति मनोवाग्देहसंयुता ।सा भर्तृलोकं आप्नोति सद्भिः साध्वीति चोच्यते ।।5/165

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
जो स्त्री दूसरे पति से सम्बन्ध (सम्भोग) नहीं करती तथा मन, वाणी व शरीर को अपने वश में रखती है वह परलोक व पतिलोक प्राप्त करती है तथा उत्तम पुरुष उस स्त्री को साध्वी कहते हैं।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
जो स्त्री मन, वाणी और शरीर को संयम में रखकर पति के विरूद्ध आचरण नहीं करती वह पति लोक अर्थात् पति के हृदय में आदर का स्थान प्राप्त करती है और श्रेष्ठ लोग उसकी ‘पति व्रता या अच्छी पत्नी’कहकर प्रशंसा करते हैं ।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
जो स्त्री मन, वचन और कर्म से संयम से रहती हुई पति के विरुद्ध आचरण नहीं करती, वह सब कर्मों में पति की प्रतिनिधि बनती है और सत्पुरुषों से सती साध्वी कहलाती है।
 
NAME  * :
Comments  * :
POST YOUR COMMENTS