Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
पिता इस स्त्री को जिसे दे दे अर्थात् जिसके साथ विवाह करे अथवा पिता की सहमति से भाई जिससे विवाह कर दे उसकी जीते हुए सेवा करे और मरने के बाद पतिव्रत -धर्म का व्यभिचार आदि से उल्लंघन न करे ।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
इसी प्रकार पिता या माता की अनुमति से भाई, इस का विवाह जिस के साथ करे, साध्वी स्त्री को चाहिए कि वह उस पति को सदा पूज्य मान कर उसकी सेवा किया करे।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
(यस्मै दद्यात् पिता तु एनाम्) पिता इसका जिसके साथ विवाह कर दे, (भ्राता च पितुः अनुमतेः) या भाई पिता की आज्ञा से, (तं शुश्रूषेत जीवन्तम्) जाते जो उसकी सेवा करे। (संस्थितं च न लंघयेत्) और उसके मरने पर व्यभिचार न करें।