Manu Smriti
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एषां शौचविधिः कृत्स्नो द्रव्यशुद्धिस्तथैव च ।उक्तो वः सर्ववर्णानां स्त्रीणां धर्मान्निबोधत ।।5/146
यह श्लोक प्रक्षिप्त है अतः मूल मनुस्मृति का भाग नहीं है
 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
यह सब वर्णों के लिए सम्पूर्ण शरीर - शुद्धि और उसी प्रकार पदार्थों की शुद्धि तुम्हें कहीं अब स्त्रियों के धर्मों - कत्र्तव्यों को सुनो ।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
(एषः शौचविधिः कृत्स्नः) यह पूरी शुद्धि की विधि। (द्रव्य-शुद्धिः तथा एव च) और इसी प्रकार द्रव्य-शुद्धि भी। (उक्तः वः सर्व वर्णानां) तुम से कही गई सब वर्णों के लिये (स्त्रीणां धर्मान् निबोधत) अब स्त्रियों के धर्म सुनो।
 
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