Manu Smriti
 HOME >> SHLOK >> COMMENTARY
संमार्जनोपाञ्जनेन सेकेनोल्लेखनेन च ।गवां च परिवासेन भूमिः शुध्यति पञ्चभिः ।।5/124

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
बुहारना, लीपना, छिड़काव करना या धोना, खुरचना और गौओं का निवास - इन पांच कामों से भूमि शुद्ध होती
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
(भूमिः) भूमि (पंचभिः शुद्ध्यति) पाँच चीजों से शुद्ध होती है-संमार्जन अर्थात् झाड़ू से (उपांजनेन) लीपने से, सेकेन अर्थात् जल छिड़कने से, उल्लेखनेन अर्थात् खुड़चने से (गवां परिवासेन च) और गायों के वास करने से।
 
NAME  * :
Comments  * :
POST YOUR COMMENTS