Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
घास, काष्ठ और पुआल से बने पदार्थ जल में डुबाकर पोंछने से शुद्ध होता है घर की शुद्धि धोने - बुहारने और लीपने से होती है मिट्टी का पात्र या पदार्थ फिर आग में पकाने से शुद्ध होता है ।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
(तृणकाष्ठं च पलालं च) घास फूस (प्रोक्षणात् एव शुद्धयति) पोंछने से ही शुद्ध होते हैं। (बेश्म) घर (मार्जन + उपांजनैः) झाड़ू देने तथा लीपने से (पुनः पाकेन मृन्मयम्) मिट्टी का बरतन आग में तपाने से।