Manu Smriti
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क्षौमवच्छङ्खशृङ्गाणां अस्थिदन्तमयस्य च ।शुद्धिर्विजानता कार्या गोमूत्रेणोदकेन वा ।।5/121

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
शंख, सींग, हड्डी, दांत, इन से बने पदार्थों की शुद्धि बुद्धिमान् व्यक्ति को छाल के वस्त्रों के समान अथवा गोमूत्र और पानी से करनी चाहिए ।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
(विजानता) ज्ञानी पुरुष को चाहिये कि (शंख श्रृंगाणाम्) शंख और सींग से बनी चीजों की, (अस्थि दन्त मयस्य च) हड्डी तथा दाँत की बनी हुई चीजों की (शुद्धिः) शुद्धि (क्षौमवत्) क्षौम अर्थात् वल्कल वस्त्रों के समान (कार्या) करे, (गोमूत्रेण) गाय के मूत्र द्वारा (उदकेन वा) या जल-द्वारा।
 
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