Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
यदि वस्त्रों का बहुत बड़ा ढेर होवे तो वह जल के छींटे देने से पवित्र हो जाता है। यदि थोड़ा होवे तो जल से धोने से पवित्र हो जाता है।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
बहुत - से अन्नों और वस्त्रों की शुद्धि जल से पोछने अर्थात् डुबाने मात्र से हो जाती है किन्तु कुछ अन्न एवं वस्त्रों की शुद्धि जल से मलकर धोने से होती है
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
(बहूनां धान्य वाससाम्) बहुत से अन्न तथा कपड़ों की (शौचम्) शुद्धि (अद्भिः तु प्रोक्षणम्) पानी से पोंछ देने से हो जाती है। (अल्पानां तु शौचम्) थोड़े अन्न तथा कपड़ों की (शौचम्) शुद्धि (अद्भिः प्रक्षालनेन) जल द्वारा धोने से ही (विधीयते) हो जाती है।