Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
ताम्र (तांबा), लोहा, कांस्य (कांसा), पीतल इन सबकी पवित्रता भस्म, खटाई तथा जल से यथाविधि करनी चाहिये।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
तांबा, लोहा, कांसा, पीतल, रांगा और सीसा, इनके बर्तनों की शुद्धि यथा आवश्यक राख, खट्टा, पानी और जल से करनी चाहिए ।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
(ताम्र) ताँबे, (अयः) लोहे, (कांस्य) काँसे, (रैत्यानाम्) रीति अर्थात् पीतल, (त्रपुणः) लाख, (सीसकस्यच) तथा सीसे का बरतन (क्षार आम्लोदक वारिभिः) क्षार या अम्ल के पानी तथा जल से (यथा अर्हं शौचं कत्र्तव्यम्) जैसा जैसा योग्य हो साफ करना चाहिये।