Manu Smriti
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आपो नरा इति प्रोक्ता आपो वै नरसूनवः ।ता यदस्यायनं पूर्वं तेन नारायणः स्मृतः । ।1/10
यह श्लोक प्रक्षिप्त है अतः मूल मनुस्मृति का भाग नहीं है
 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
संस्कृत में ’अप’ मनुष्य की संतान को कहते हैं और मनुष्य की सन्तान के हृदय में परमात्मा का प्रकाश होता है, इसलिए परमात्मा को नारायण कहते हैं।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
जीव ‘नारा’ कहलाते हैं, क्योंकि वे नर (नायक परमात्मा) से प्रेरित होने के कारण उसके सूनु अर्थात् पुत्र हैं। यतः, ये ‘नारा’ नामक जीव इस नर के प्रथम अयन अर्थात् उत्तम निवास स्थान हैं, अतः सब जीवों में व्यापक होने से परमात्मा का नाम नारायण है।१ १. नाराः जीवाः अयनं निवासस्थानं अस्य सः नारायणः जीवेषु व्यापकः। -स०प्र०, स० १
 
USER COMMENTS
Comment By: vibhanshu
Jo prakshipt hai uska koi tod bhi to dijiye kal ager koi vidharmi ye shlok uthaa ker le aae to uska kyaa reply ker paenge
Comment By: ADMIN
नमस्ते vibhanshu जी 2 4 श्लोक आगे पीछे देखिये टिपण्णी मिलेगी उसमें कारण सहित बताया गया है की प्रक्षिप्त क्यों है
 
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