Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
संस्कृत में ’अप’ मनुष्य की संतान को कहते हैं और मनुष्य की सन्तान के हृदय में परमात्मा का प्रकाश होता है, इसलिए परमात्मा को नारायण कहते हैं।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
जीव ‘नारा’ कहलाते हैं, क्योंकि वे नर (नायक परमात्मा) से प्रेरित होने के कारण उसके सूनु अर्थात् पुत्र हैं। यतः, ये ‘नारा’ नामक जीव इस नर के प्रथम अयन अर्थात् उत्तम निवास स्थान हैं, अतः सब जीवों में व्यापक होने से परमात्मा का नाम नारायण है।१
१. नाराः जीवाः अयनं निवासस्थानं अस्य सः नारायणः जीवेषु व्यापकः।
-स०प्र०, स० १