श्रीमान ओम दत्त जी का जीवन रियासतकाल से अध्ययन व अध्यापन से जुड़ा हुआ था ! उनका जीवन आर्ष सिद्धांतों व दयानंद की जीवनी से प्रेरित व पुष्पित था ! सदैव गांभीर्य आत्मोन्नति व समाज सेवा उनके जीवन का मुख्य लक्ष्य था ! आर्य जगत के विभिन्न राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों में सदैव उनकी गरिमामय उपस्थिति रहती थी ! इंग्लैंड मॉरीशस अफ़्रीका वह कई अन्य देशों के सम्मेलनों में आपने भाग लिया ! आप राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा परिषद दिल्ली में सदस्य रहे ! युवा चेतना व स्वाध्यायशील राष्ट्रीय चिंतन व आर्य समाज के सिद्धांतों में प्रचार प्रसार हेतु आपने कई बार पुरोहित संस्कार शिविर में भाग लिया ! आप की प्रेरणा से कई लोगों ने आर्य समाज को अपने जीवन में उतारा! वे आर्य समाज सूरसागर के संस्थापना के मुख्य सदस्य में एक थे ! आपके द्वारा संस्था में हॉल का निर्माण किया गया ! उनके त्याग व दूरदर्शिता से परिवार की चौथी पीढ़ी आर्य सिद्धांतों के अनुयाई है! उनके पुत्र श्री जय सिंह जी गहलोत सहित पूरा परिवार दैनिक यज्ञ में होता है ! "दानों ही महत्ता धनम" को प्रसंगित करते हुए उन्होंने आर्य समाज के विभिन्न राष्ट्रीय और क्षेत्रीय संस्थानों में आप की आहुति निरंतर आहूत की जाती रही है ! आपने आर्ष गुरुकुल, आबू पर्वत के विकास हेतु कई योजनाएं राज्य सरकार द्वारा क्रियान्वित की है और स्वयं द्वारा अपने पिताजी की स्मृति में विशाल मुख्य द्वार जोधपुरी पत्थर द्वारा निर्माण करवाया व हर वर्ष छात्र निधि में आपका योगदान रहता है ! आप गुरुकुल आबू पर्वत के ट्रस्टी हैं ! अपने वर्तमान में स्वाध्याय व प्रचार प्रसार हेतु ऋषि दयानंद की प्रचार यात्रा की अंतिम स्थली स्मृति भवन के मुख्य द्वार पर वैदिक पुस्तकालय का निर्माण करवाया वाह यज्ञशाला के निर्माण हेतू आपने कई वर्ष तक आर्य समाज सूरसागर के प्रधान पद पर रहे ! आप ने सहयोग किया ! परोपकारी सभा, अजमेर से आप का विशेष लगाव रहा जहां वार्षिक रूप से छात्र निधि में आप का विशेष सहयोग रहा ! श्रीमान जय सिंह जी गहलोत का परिवार संयुक्त परिवार होने से तीनों पुत्रों व पुत्रवधुएं, पुत्र, पुत्री सहित आदर्श ग्रहस्थ जीवन में द्योतक है ! ज्येष्ठ पुत्र सोमेंद्र सिंह ने बचपन से आर्य वीर दल व गुरुकुलों, आचार्यों के सानिध्य में अपना जीवन प्रकाशित किया ! जोधपुर आर्य वीर दल संचालक पद पर 9 वर्षों के कार्यकाल तक 3 आर्य वीर दल के शिविरों का सफल संचालन किया और कन्या गुरुकुल, शिवगंज के वर्तमान में यह ट्रस्टी हैं ! उनके द्वारा उन परिवारों में दैनिक यज्ञ की संकल्पना पूर्ण पुरुषार्थ से सफल हुई ! आध्यात्मिक योग शिविर अजमेर में कई बार आप ने भाग लिया ! अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन मॉरिशस की यात्रा 36 व्यक्तियों के सामूहिक दल में आपके नेतृत्व में पूर्ण की ! उनके अनुज भ्राता अजय व भरत ने पूरे भारत में हुई राष्ट्रीय आर्य वीर के शिविर में भाग लिया ! उनकी एक बहन कांता भी ससुराल में दैनिक यज्ञ करती है !