कार्य में तीव्रता लायें -रामनाथ विद्यालंकार
ऋषिः प्रजापतिः । देवता ब्रह्मा । छन्दः निवृद् आर्षी अनुष्टुप् ।
सशितो रश्मिना रथः सर्शितो रश्मिना हर्यः ।। सशितो अप्स्वप्सुजा ब्रह्मा सोमपुरोगवः ॥
-यजु० २३.१४
(संशित:१) तीव्र हो जाता है ( रश्मिना ) सूर्यकिरण से ( रथः) सौर रथ । ( संशितः ) तीव्र हो जाता है ( रश्मिना) लगाम से ( हयः) घोड़ा। ( संशितः ) तीव्र हो जाता है। (रश्मिना ) ज्ञानरश्मि से ( अप्सुजाः ) वाक्प्रवाहों में प्रसिद्ध, ( सोम-पुरोगवः२) यज्ञ का पुरोधा ( ब्रह्मा ) ब्रह्मा ( अप्सु) कर्मकाण्डों में।
बड़े सौभाग्य से हमें उत्तम कार्य करने के लिए मानव शरीर मिला है। समय न्यून है, कार्य बहुत है। अतः गति में तीव्रता लाने से ही कार्य पूर्ण हो सकता है। देखो, सौर विद्युत् से चलनेवाला भूयान, जलयान या विमान रूप रथ सूर्यरश्मि के प्रयोग से तीव्र हो जाता है। अश्वयान में जुता हुआ घोड़ा लगाम रूप रश्मि के खींचने और ढीला करने के संकेत से तीव्र गति से चलने लगता है। वेदपाठरूप वाक्प्रवाहों में प्रसिद्ध, यज्ञ का पुरोधा ब्रह्मा ज्ञानरश्मि से कर्मकाण्डों में तीव्र हो जाता है। तुम भी यदि अपने कार्य तीव्र गति से करना चाहते हो, तो रश्मि का प्रयोग करो। रश्मि और ज्योति पर्यायवाची हैं। राजर्षि जनक ने महर्षि याज्ञवल्क्य से पूछा था कि मनुष्य के पास ज्योति कौन सी है—किंज्योतिरयं पुरुषः ? उनका संवाद इस प्रकार चला था-‘आदित्य ही मनुष्य के लिए ज्योति का काम करता है। आदित्य न हो तब? उस समय चन्द्रमा ज्योति होता है। चन्द्रमा भी न हो तब? तब अग्नि ज्योति होगी, दीपक या मशाल के प्रकाश में मनुष्य अपना कार्य कर सकेगा। अग्नि भी सुलभ न हो तब? तब वाणी ज्योति का काम करेगी। गुरुजनों की वाणी, महात्माओं की वाणी ही राह दिखाती है। वाणी भी सुलभ न हो तब? तब मनुष्य का अपना आत्मा ही ज्योति का काम करता है। आत्मा भी ज्योति देने में विफल रहे, तब परमात्मा ज्योति बनता है। अतः यदि तुम अपने कार्यों में सही दिशा में तीव्रता लाना चाहते हो, तो परमात्म-सूर्य की रश्मि को पकड़ो। उससे जो उजाला या अन्त:प्रकाश प्राप्त होगा, वह ज्योतियों की ज्योति का काम करेगा।” उस रश्मि को पकड़कर तुम राह नहीं भटकोगे, तुम्हारी गति में तीव्रता आयेगी और शीघ्र लक्ष्य पर पहुँच सकोगे।
याद रखो रश्मि से रथ में तीव्रता आती है, रश्मि से अश्व में तीव्रता आती है, रश्मि से ब्रह्मा के कर्मकाण्ड में तीव्रता आती है। तुम भी अपने सत्कायों में तीव्रता लाने के लिए ‘रश्मि’ प्राप्त करो।।
पाद–टिप्पणियाँ
१. संशितः–सं शो तनूकरणे।
२. सोमस्य यज्ञस्य पुरोगवः पुरोधाः। ‘यज्ञः सोमो राजा’-जै० ब्रा०१.२५९।।
कार्य में तीव्रता लायें -रामनाथ विद्यालंकार