जिज्ञासा– कुछ जिज्ञासायें मन में हैं। कृपया समाधान करने का कष्ट करेंः-
1-यम, 2-नियम, 3-आसन, 4-प्राणायाम, 5- प्रत्याद्वार, 6-धारणा, 7-ध्यान एवं 8-समाधि। यह क्रम महर्षि पतञ्जलि ने योग दर्शन में दिया है।
क्या यम-नियम का पालन करने वाला व्यक्ति भी सीधे ध्यान (7) अवस्था में पहुँचकर ध्यान का अयास कर सकता है? यदि कर सकता है तो फिर यम- नियम आदि की क्या आवश्यकता है?
आखिर यह ‘‘ध्यान प्रशिक्षण योजना’’ जो परोपकारी पत्रिका मार्च (प्रथम) 2015 में प्रकाशित है व पहलेाी कई बार प्रकाशित/प्रचारित हुई है, क्या है?
समाधान– (क) ध्यान/उपासना के लिए यम-नियम रूप योगाङ्गों का अनुष्ठान अनिवार्य है। इसको महर्षि पतञ्जलि अपने योगदर्शन में कहते हैं। महर्षि दयानन्द नेाी इस तथ्य को अनिवार्य कहा है। महर्षि उपासना प्रकरण ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका में लिखते हैं- ‘……….इन पाँचों का ठीक-ठीक अनुष्ठान करने से उपासना का बीज बोया जाता है।’’ ऋषियों के इन मन्तव्यों से तो यही ज्ञात हो रहा है कि ध्यान-उपासना के लिए यम-नियम का पालन करना अनिवार्य है।
अब हम थोड़ा विचार इन आठ अङ्गों पर कर लेते हैं। इन योगाङ्गों की व्याया करते हुए प्रायः उपदेशक वर्ग इनक ो सीढ़ी की भाँति बताया करता है, अर्थात् जैसे ऊपर चढ़ने के लिए हम सीढ़ी का प्रयोग करते हैं। सीढ़ी से चढ़ने के लिए पहले हम प्रथम सीढ़ी पश्चात् दूसरी, तीसरी आदि का प्रयोग करते हैं, पहली से अन्तिम पर नहीं पहुँच जाते वहाँ तो क्रम है। ऐसे ही इन योगाङ्गों की व्याया की जाती है, अर्थात् पहले यम को सिद्ध करें फिर नियम को पश्चात् आसन को आदि।
किन्तु यह जो सीढ़ी की तरह कहना दिखाना है, युक्ति युक्त नहीं है, क्योंकि बिना यम-नियम के पालन से भी व्यक्ति आसन लगा सकता है, प्राणायाम कर सकता है। यदि ऐसा न होता तो कोई आसन, प्राणायाम न कर सकता था, इसलिए यह सीढ़ी वाला उदाहरण योगाङ्गों में घटाना सर्वाथा युक्त नहीं है।
इसमें यह अवश्य समझना चाहिए कि व्यक्ति जितना-जितना यम-नियम का पालन करता जायेगा, वह उतना-उतना धारणा, ध्यान की ओर अग्रसर होता चला जायेगा। कोई यह न समझे कि जब इन यम-नियम को पूरी तरह सिद्ध कर लूँगा, तब ही ध्यान करुँगा। ध्यान का अयास यम-नियम की प्रारभिक अवस्था से किया जा सकता है। हाँ, ध्यान की ऊँची अवस्था तो यम-नियम के पूर्ण रूप से पालन करने पर ही होगी, किन्तु प्रारभ में भी जब व्यक्ति सात्विक भाव से युक्त होकर ध्यान करता है तो उसको भी प्रारभिक ध्यान का आनन्द तो आयेगा ही।
इतना सब लिखने का तात्पर्य यही है कि सर्वथा यम-नियम से रहित व्यक्ति तो ध्यान नहीं कर सकता अपितु जो जितने अंश में इनका पालन करता है, वह इतने स्तर का ध्यान भी कर सकता है, किन्तु जिस ध्यान की बात महर्षि पतञ्जलि करते हैं, वह ध्यान तो नहीं होगा, फिर भी इस ध्यान को आप गौण रूप में तो देख ही सकते हैं।
आपने परोपकारिणी सभा की ध्यान पद्धति के विषय में पूछा है। इस विषय में आपको बता दें कि इस ध्यान पद्धति की योजना इस कारण बनी कि सब मत-सप्रदाय प्रायः अपने-अपने विचार से ध्यान करवाते हैं। हमारे आर्य समाज में संध्या की जाती है। संध्या के बहुत सारे मन्त्र हैं, इन मन्त्रों को सब कोई नहीं जानता। जो नहीं जानता वह भी वैदिक रीति से ध्यान, उपासना कर सके, उसके लिए यह ध्यानह-पद्धति विद्वानों ने मिलकर तैयार की है। इस ध्यान पद्धति में अवैदिक और सिद्धान्त विरुद्ध कुछ भी नहीं है। यह पद्धति ऋषियों की रीति अनुसार विद्वानों द्वारा निर्मित है। इस पद्धति से साधारण से साधारण व्यक्ति भी ध्यान कर सकता है।
इस ध्यान-पद्धति का अनेक लोग लाभ उठा रहे हैं और जिन्होंने इसका प्रशिक्षण परोपकारिणी सभा से लिया है वे प्रशिक्षक होकर अन्यों को भी सिखा रहा है। इस प्रकार इससे अनेक जन उपकृत हो रहे हैं।
जैसे ऊपर कहा जा चुका है कि यह ध्यानह-पद्धति जन साधारण भी कर सके उसके लिए है। उन जन साधारण के लिए तो इस पद्धति को पर्याप्त कह सकते हैं किन्तु जो विशेष अध्यात्म के मार्ग में योग्यता रखते हैं, उनके लिए कदाचित यह पर्याप्त न हो। यह ध्यान-पद्धति दो भागों में विभक्त कर रखी है, एक पन्द्रह मिनट की और दूसरी तीस मिनट की। जो लोग ध्यान करना चाहते हैं किन्तु विशेष योग्यता नहीं रखते, वे इस पन्द्रह मिनट की ध्यान- पद्धति का लाभ उठा सकते हैं और जो कुछ योग्य हैं, उनके लिए तीस मिनट की ये पद्धति है। वे इससे लाभ उठा सकते हैं। किन्तु जो विशेष योग्यता रखते हैं, वे महर्षि वर्णित उपासना प्रकरण व योग दर्शन के अनुसार अपने को प्रगति दे सकते हैं अथवा ध्यान योग शिविरों में इस विषय के योग्य विद्वानों के संग अपना परिष्कार कर सकते हैं। इस विषय में इतना ही।
dhyan wali patrika pdf mein uplabdh karein
Dhayn ka abhyas Paropkarni sabha dwara shivir laga kar samay samay par kiya jyata hai
aap unka labh le sakte hein
dhyan se sambandhit pustaken bhee aap Paropkarini sabhaa se prapt kar sakte hein
Paropkarni ka pata ya shivir ke date to batain
aap yahan se details le sakte hein
http://www.paropkarinisabha.com/