विज्ञान से अनभिज्ञ खुदा
-निश्चय परवरदिगार तुम्हारा अल्लाह है जिसने पैदा किया आसमानों और पृथिवी को बीच छः दिन के फिर क़रार पकड़ा ऊपर अर्श के तदबीर करताहै काम की।। मं0 3। सि0 11। सू0 10। आ0
समी0-आसमान आकाश एक और बिना बना अनादि है। उसका बनाना लिखने से निश्चय हुआ कि वह कुरान का अल्लाह पदार्थ विद्या को नहीं जानता था ? क्या परमेश्वर के सामने छः दिन तक बनाना पड़ता है? तो जो ‘‘हो मेरे हुक्म से और हो गया’’ जब कुरान में ऐसा लिखा है फिर छः दिन कभी नहीं लग सकते, इससे छः दिन लगना झूठ है। जो वह व्यापक होता तो फिर अर्श को क्यों ठहरता ? और जब काम की तदबीर करता है तो ठीक तुम्हारा खुदा मनुष्य के समान है क्योंकि जो सर्वज्ञ है वह बैठा2 क्या तदबीर करेगा? इससे विदित होता है कि ईश्वर को न जानने वाले जंगली लोगों ने यह पुस्तक बनाया होगा |
-शिक्षा और दया वास्ते मुसलमानों के।। मं0 3। सि0 11। सू0 11। आ0 571
समी0-क्या यह खुदा मुसलमानों ही का है ? दूसरों का नहीं ? और पक्षपातीहै ?जो मुसलमानों ही पर दया करे,अन्य मनुष्यों पर नही। यदि मुसलमान ईमानदारों को कहते हैं तो उनके लिये शिक्षा की आवश्यकता ही नहीं, और मुसलमानों से भिन्नों को उपदेश नहीं करता तो खुदा की विद्या ही व्यर्थ है |
-परीक्षा लेवे तुमको, कौन तुममें से अच्छा है कर्मों में, जो कहे तू, अवश्य उठाये जाओगे तुम पीछे मृत्यु के।। मं0 3। सि0 12। सू0 11। आ0 72
समी0-जब कर्मों की परीक्षा करता है तो सर्वज्ञ ही नहीं। और जो मृत्यु पीछे उठाता है तो दौड़ा सुपुर्द रखता है और अपने नियम जो कि मरे हुए न जीवें उसको तोड़ता है, यह खुदा को बट्टा लगना है |
-और कहा गया ऐ पृथिवी अपना पानी निगल जा और ऐ आसमान बसकर और पानी सूख गया।। और ऐ क़ौम मेरे’, यह है निशानी ऊंटनी अल्लाह की वास्ते तुम्हारे, बस छोड़ दो उसको बीच पृथिवी अल्लाह के खाती फिरे।। मं0 3।सि0 11। सू0 11। आ0 44।643
समी0-क्या लड़केपन की बात है ! पृथिवी और आकाश कभी बात सुनसकते हैं ? वाहजी वाह! खुदा के ऊंटनी भी है तो ऊंट भी होगा ? तो हाथी, घोड़े, गधे आदि भी होंगे ? और खुदा का ऊंटनी से खेत खिलाना क्या अच्छी बात है? क्या ऊंटनी पर चढ़ता भी है ? जो ऐसी बातें हैं तो नवाबी की सी घसड़-पसड़ खुदा के घर में भी हुई |
-और सदैव रहने वाले बीच उसके जब तक कि रहें आसमान और पृथिवी और जो लोग सुभागी हुए बस बहिश्त के सदा रहने वाले हैं जब तक रहें आसमान और पृथिवी।। मं0 3। सि0 12। सू0 11। आ0 108। 109
समी0-जब दोज़ख और बहिश्त में कयामत के पश्चात सब लोग जायंगे फिर आसमान और पृथिवी किसलिये रहेगी ? और तब दोज़ख और बहिश्त के रहनेकी आसमान पृथिवी के रहने तक अवधि हुई तो सदा रहेंगे बहिश्त वा दोज़ख में, यह बात झूठी हुई। ऐसा कथन अविद्वानों का होता है, ईश्वर वा विद्वानों का नहीं |
-जब यूसुफ़ ने अपने बाप से कहा कि ऐ बाप मेरे, मैंने एक स्वप्न में देखा।। मं0 3। सि0 12। 13। सू0 12। 13। आ0 4 से 101तक2
समी0-इस प्रकरण में पिता पुत्र का संवाद रूप किस्सा कहानी भरी है इसलिये कुरान ईश्वर का बनाया नहीं। किसी मनुष्य ने मनुष्यों का इतिहास लिख दिया है |
-अल्लाह वह है कि जिसने खड़ा किया आसमानों को बिना खंभे के देखते हो तुम उसको, फिर ठहरा ऊपर अर्श के, आज्ञा वर्तने वाला किया सूरज और चांद को और वही है जिसने बिछाया पृथिवी को | उतारा आसमान से पानी बस बहे नाले साथ अन्दाज अपने के अल्लाह खोलता है भोजन को वास्ते जिसको चाहै और तंग करता है।। मं0 3। सि0 13। सू0 13। आ0 2। 3।17।26
समी0-मुसलमानों का खुदा पदार्थ विद्या कुछ भी नहीं जानता था। जो जानता तो गुरुत्व न होने से आसमान को खंभे लगाने की कथा कहानी कुछ भी न लिखता। यदि खुदाअर्शरूप एक स्थान में रहता है तो वह सर्वशक्तिमान और सर्वव्यापक नहीं हो सकता | और जो खुदा मेघ विद्या जानता तो आकाश से पानी उतारा लिखा,पुनः,यह क्यों न लिखा कि पृथिवी से पानी ऊपर चढ़ाया| इससे निश्चय हुआ कि कुरान का बनाने वाला मेघ की विद्या को भी नहीं जानता था|और जो बिना अच्छे बुरे कामों के सुख दुःख देता है तो पक्षपाती, अन्यायकारी, निरक्षर भट्ट है।।94।।