वीर शिवाजी जी की मातृ–भक्ति से जुड़ी विश्व इतिहास की अपूर्व घटना’
छत्रपति श्विाजी महाराज आर्य महापुरुष थे। आप माता जीजी बाई के पुत्र थे। एक बार शिवाजी की माता जीजाबाई बीमार हो गईं और उनका स्वास्थ्य दिन प्रतिदिन गिरता जा रहा था। शिवाजी अपनी माता से बहुत प्रेम करते थे, अतः उन्हें अपनी मां की बहुत चिन्ता हुई। शिवाजी एक प्रसिद्ध वैद्य के पास गये और उन्हें अपनी माता का पूरा हाल बताया। वैद्यजी ने शिवाजी को माता के इलाज के लिए शेरनी का दूध लाने को कहा और बताया कि शेरनी के दूध से ही तुम्हारी माताजी स्वस्थ हो सकती हैं।
वैद्य जी की बात को सुनकर शिवाजी शेरनी के दूध की तलाश में एक घोर जंगल में निकल पड़ें। उन दिनों शीत ऋतु अपने यौवन पर थी। शिवाजी ने प्रातःकाल की वेला में देखा कि एक शेरनी जंगली में एक वृक्ष की ओट में ठण्ड से कांप रही थी। शिवाजी निर्भयतापूर्वक उस शेरनी के पास गये और एक पात्र में शेरनी का दुग्ध निकाला। दुग्ध लाकर शिवाजी ने वह दुग्ध वैद्यजी को सौंप दिया। वैद्यजी ने उस दुग्ध में औषधियां मिलाकर उसे शिवाजी की माता जीजाबाई जी पिलाया। इस उपचार से शिवाजी की माताजी निरोग हो गईं। अपनी माता को निरोग करने के लिए शेरनी को ढूंढना और उसका दूध निकालना, यह मातृभक्ति व वीरता की इतिहास की सर्वोत्तम स्वर्णिम घटना है और यह शिवाजी की अपनी माता के प्रति भक्ति व उनके समर्पण भाव को प्रस्तुत करती हैं। इस कार्य को करने से वीर शिवाजी इतिहास में अगर हो गये। यह घटना विश्व के सभी पुत्रों के लिए एक आदर्श उदाहरण बन गई है। वीर शिवाजी को नमन।
–मनमोहन कुमार आर्य
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