सब के गुण अपनी हमेशा गलतियाँ देखा करो
जिन्दगी की हुबहू तुम झलकियाँ देखा करो
हसरतें महलों की तुमको गर सताएं आनकर
कुछ गरीबों की भी जाकार बस्तियां देखा करो
खाने से पहले अगर तुम हक़ पराया सोच लो
कितने भूखों की है इन में रोटियां देखा करो
आ दबोचें, गर कहीं तुम को सिकंदर सा गरूर
हाथ खाली आते जाते अर्थियां देखा करो
ये जवानी की अकाद सब ख़ाक में मिलाजावेगी
जल चुके जो शव हैं उनकी अस्थियाँ देखा करो
जिंदगी में चाहते हो सुख अगर अपने लिए
दूसरों के गम में अपनी सिसकियाँ देखा करो