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महिलाओ के प्रति कुरान का दृष्टिकोण

women in islam 2

मुसलमान कहते है भारत में कुरान की जरुरत इसलिए हुई की यहाँ अत्याचार, मारकाट, औरतों पर जुल्म चरम पर था, उस स्थिति को सुधारने के लिए भारत में कुरान की जरूरत हुई, कुरान को खुदाई पुस्तक बताकर उसे भारतीय जनता का उधारक बताया है, जबकि सच्चाई इससे कोसों दूर है, यदि कुरान को केवल उपरी नजर से भी पढ़ा जाए तो सच्चाई सामने आ जायेगी

सच यह है की भारतीय जनता को गुमराह करने के लिए ये उलजुलूल तर्क कुरान में दिए है, भारत देश जिसमें रहने वाले लोग वैदिक धर्मी थे, यही एक मात्र धर्म है संसार में जिसमें औरत को पूजनीय बताया गया है, वेद का एक-एक मन्त्र पढ़ लिया जाए तो भी उसमें औरत के लिए गलत कुछ नहीं लिखा है, यही एक मात्र देश है जहाँ नारी को पुरुष के समकक्ष अधिकार दिए गए है
वही दूसरी और वो मजहब जो कुरान को मानता है, वहां औरत पर जुल्म इतने है की ह्रदय काँप जाए, औरत को भोग की वस्तु बना कर उसको तरह तरह से अप्राकृतिक रूप से भोगने के आदेश दिए हुए है, १०-१० बच्चे पैदा करने तक मजबूर किया जाता है, एक पुरुष अनेकों महिलाओं से निकाह कर सकता है, वो भी केवल अपनी काम इच्छा की पूर्ति के लिए, इस्लाम का शरियत कानून देख लों जो औरतों पर ऐसे अत्याचार करता है की सुनकर रोंगटे खड़े हो जाते है, संक्षिप्त में आपको इस्लाम में महिलाओं की स्थिति के दर्शन कराते है

कुरान में गैर इस्लामी लोगों को मारने, काटने की बहुत जगह आज्ञा दी गई है, और सबसे ज्यादा अत्याचार करने की आज्ञा है तो वो है औरतों पर, इस खुदाई पुस्तक में औरत को भोग का साधन मात्र बताया गया है, लुटने, भोगने की चीज बताया है, आइये देखते है खुदा के औरतों पर जुल्म:-

धर्म के अनुसार औरत पर जुल्म करने वाले को जालिम और दुष्ट कहा गया है, और जो खुदा अपनी ही प्रजा (स्त्रियों) पर जुल्म ढाने, उनसे व्यभिचार करने, बलात्कार करने का हुक्म दे तो क्या वह जालिम और दुष्ट नहीं है?

देखिये कुरान में कहा गया है की–
या अय्युह्ल्लजी-न आमनू कुति-ब……..||
(कुरान मजीद पारा २ सूरा बकर रुकू २२ आयत १७८)

ऐ ईमान वालों ! जो लोग मारे जावें, उनमें तुमको (जान के) बदले जान का हुक्म दिया जाता है| आजाद के बदले आजाद और गुलाम के बदले गुलाम, औरत के बदले औरत|
इसमें हमारा एतराज इस अंश पर है की “औरत के बदले औरत” पर जुल्म किया जावे | यदि कोई बदमाश किसी की औरत पर जुल्म कर डाले तो उस बदमाश को दण्ड देना मुनासिब होगा किन्तु उसकी निर्दोष औरत पर जुल्म ढाना यह तो सरासर बेइन्साफी की बात होगी | ऐसी गलत आज्ञा देना अरबी खुदा को जालिम साबित करता है, न्यायी नहीं |

वल्मुहसनातु मिनन्निसा-इ इल्ला मा………||
(कुरान मजीद पारा ५ सुरा निसा रुकू ४ आयत २४)
ऐसी औरतें जिनका खाविन्द ज़िंदा है उनको लेना भी हराम है मगर जो कैद होकर तुम्हारे हाथ लगी हों उनके लिए तुमको खुदा का हुक्म है …… फिर जिन औरतों से तुमने मजा उठाया हो तो उनसे जो ठहराया उनके हवाले करो | ठहराए पीछे आपस में राजी होकर जो और ठहरा लो तो तुम पर इसमें कुछ उर्ज नहीं | अल्लाह जानकर हिकमत वाला है

समीक्षा

निर्दोष औरतों को लुट में पकड़ लाना और उनसे व्यभिचार करने की खुली छुट कुरानी खुदा ने दे दी है, क्या यह अरबी खुदा का स्त्री जाती पर घोर अत्याचार नहीं है ? क्या वह व्यभिचार का प्रचारक नहीं था, फीस तय करके औरतों से व्यभिचार करने तथा फीस जो ठहरा ली हो उसे देने की आज्ञा देना क्या खुदाई हुक्म हो सकता है ? अरबी खुदा और कुरान जो औरतों पर जुल्म करने का प्रचारक है क्या समझदार लोगों को मान्य हो सकता है ?

और देखिये इस्लामी पुस्तक कुरान बीबियों को किस तरह काम पूर्ति का साधन मानती है,
अपनी बीबियों के साथ पीछे से संभोग करना, क्या यह भी कोई शराफत की बात है जिसकी आज्ञा खुदा ने दी ?
देखिये कुरान में कहा गया है की—
निसा-उकुम हरसुल्लकुम फअतु……….||
(कुरान मजीद पारा २ सुरा बकर रुकू २८ आयत २२३)

तुम्हारी बीबियाँ तुम्हारी खेतियाँ है | अपनी खेती में जिस तरह चाहो (उस तरह) जाओ | यह अल्लाह का हुक्म है |
पीछे से सम्भोग करने का आशय दो तरीकों से है, एक तो प्राकृत सम्भोग से है दुसरा अप्राकृतिक सम्भोग अर्थात –गुदा मैथुन से है, हम मानते हैं इनमें से कोई भी हो दोनों ही गलत है |
चरक और सुश्रुतु की मान्यतानुसार अगर उलटे सीधे तरीकों से सम्भोग किया जाएगा तो उनके द्वारा पैदाशुदा संतान भी उलटी-सीधी अर्थात विकारित ही पैदा होगी |
जैसे की पीछे से प्राकृत सम्भोग करने पर वायु का दबाव अधिक रहने के कारण कष्टदायक होता है तथा संतान भी विकलांग ही पैदा होती है |
रही बात गुदा मैथुन की ? उसका समर्थन तो कुरान में साफ़ शब्दों में किया गया है
देखिये-
“कुरान मजीद सुरा बकर पारा-२, रुकू २८, आयत २२३”
जिसमें अल्लाह ताला ने कहा है की—
“औरतें तुम्हारी खेतियाँ है जिधर से चाहो उधर से जाओ“ तथा “तफसीरे कबीर जिल्द २, हुज्जतस्सलिसा, सफा २३४, मिश्र छापा”
जिसमें गुदा मैथुन अर्थात इग्लामबाजी का स्पष्ट आदेश मौजूद है |
अतः पीछे से सम्भोग करने का तात्पर्य दोनों तरह से माना जा सकता है, जो मानवता, नैतिकता व् ईश्वरीय नियम के विरुद्ध है |

ऐसी कई कुरानी खुदा की आज्ञा कुरान में दी है यह तो केवल कुरानी खुदा की फिल्म का ट्रेलर है पूरी फिल्म आपको www.aryamantavya.in पर इस्लाम से सम्बंधित पुस्तकों में मिल जायेगी

जिस कुरान की जरुरत भारत में औरतों पर अत्याचार को रोकने के लिए बताई है वही कुरान भारत जैसे धार्मिक देश में जहाँ पर नारी को पूजनीय बताया गया है वही पर यह कुरान औरत पर बलात्कार आदि जैसे अत्याचारों को बढ़ावा देने का कारक बन गई है, पाठकगण अपनी बुद्धि विवेक का उपयोग करें और हो सके तो कुरान का स्वयं भी अध्ययन करें ताकि आप स्वयं दूध का दूध पानी का पानी कर सके यदि कुरान पढने का समय नहीं दे पाते है, तो आप www.aryamantavya.in इस साईट पर आये ताकि हम आपका इस्लाम के जुल्म से भरे चेहरे का दर्शन करा सके

पाठकगण अपनी प्रतिक्रिया जरुर दें

नमस्ते
औ३म्

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