खुदा को गूंगे-बहरों से घृणा है
गूंगे बहरे लोगों से घृणा करने वाला खुदा रहीम अर्थात् रहम करने वाला कैसे है?
देखिये कुरान में कहा गया है कि-
इन्-न शर्रद्दवाब्बि…………।।
(कुरान मजीद पारा ९ सूरा अन्फाल रूकू ३ आयत २२)
अल्लाह के नजदीक सब जानवरों में निकृष्ट बहरे गूंगे हैं जो नहीं समझते।
व लौ अलिमल्लाहु फीहिम्………..।।
(कुरान मजीद पारा ९ सूरा अन्फाल रूकू ३ आयत २३)
अगर अल्लाह इनमें भलाई पाता तो इनको सुनने की योग्यता भी जरूर देता लेकिन अगर खुदा इनको सुनने की काबलियत भी दे, तो भी यह लोग मुँह फेर कर उल्टे भागें।
समीक्षा
जिनको जन्म से गूंगा बहरा खुदा ने बनाया है उनको किस खता के बदले में यह दण्ड खुदा ने दिया है, यह खोला जावे? जन्म से पहले खुदा जीवों की काबलियत की जांच कब और कैसे करता है? जबकि कुरान के मत से जन्म पहली बार ही होता है।
किसी को भी अपनी भली बुरी योग्यता प्रदर्शित करने का अवसर वर्तमान जन्म से पूर्व नहीं मिलता है तब स्वयं ही बिना कारण के जीवों को गूंगा बहरा नहीं मिला है। तब स्वयं ही बिना कारण के जीवों को गूंगा बहरा बनाकर अपनी हालत प्रगट करना और फिर उन दीन दुखी गूंगे बहरों से घृणा करना खुदा की शराफत कैसे मानी जा सकती है?
ऐसे दुखी जीवों पर तो सभी को दया व प्रेम करना चाहिए। मनुष्य भी उन पर तरस खाते हैं पर अरबी बेरहम खुदा जो ‘रहमानर्रहीम’ बनने का दम भरता है, उनसे घृणा करता है, जब कि खुदा ही उनको गूंगा बहरा बनाता है?
क्या ऐसे अरबी खुदा को ‘‘रहीम’’ अर्थात् रहम करने वाला साबित किया जा सकता है?