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Rigveda: Industrial Management & Training By Subodh Kumar

bhishma

 

 

RV1.5 Industrial Management & Training
Work place atmosphere
1.आ त्वेता निषीदतेन्द्रमभि प्रगायत |
सखाय: स्तोमवाहसः || RV 1.5.1, AV20.68.11
(स्तोमवाहसःसखाय:) आओ आप सब प्रशंसनीय गुणयुक्त कार्य करने में प्रवीण विद्वानों से मित्रभाव से सब मिल कर परस्पर प्रीति के साथ शिल्प विद्या को सिद्ध करने में, (आनिषीदत) एकत्रित हों,(इन्द्रम्‌ अभिप्रगायत) इंद्र के गुणों का उपदेश करें और सुनें कि जिस से वह अच्छी रीति से सिद्ध की हुइ शिल्प विद्या सब को प्रकट हो जाए , और उस से (तु एत) तुम सब लोग सब सुखों को प्राप्त हों .
Let all well in company of qualified competent persons gather in a harmonious friendly cooperative atmosphere, to learn and discuss for successful development of well produced products that bring comfort and welfare to everybody.
Useful & Harmful results
2. पुरूतमं पुरूणामीशानं वार्य्याणाम |
इन्द्रं सोमे सचा सुते || RV 1.5.2, AV20.68.12
(पुरुणाम्‌) आकाश से ले कर पृथिवी तक के सब असंख्य पदार्थों के साधक (वार्य्याणाम) अत्यंत उत्तम वरण करने योग्य सद्गुणों को (ईशानम्‌) रचने में समर्थ, परन्तु (पुरूतमम्‌) दुष्ट स्वभाव वाले जीवों के कर्मों के भोग के निमित्त और (इन्द्रम्‌) जीवमात्र को सुख दु:ख देने वाले पदार्थों के भौतिक गुणों का ( अभिगायत) उपदेश करो . और (तु सुते सोमे सचा) जो सब प्रकार की विद्या से प्राप्त होने योग्य पदार्थों के निमित्त कार्य्य हैं उन को उक्त विद्याओं से सब के उपकार के लिए यथायोग्य युक्त करो.
Find and learn about all physical objects from sky to earth and their properties that can be put to desirable use. And utilize the knowledge of the physical properties objects in nature for welfare of all. But also bring out and speak about the knowledge about the simultaneous harmful and cruel results.
Importance Knowledge –ज्ञान का महत्व
3. स घा नो योग आ भुवत्स राये स पुरन्ध्याम |
गमद्वाजेभिरा स नः || RV 1.5.3,AV20.69.1
सब पदार्थ विद्याओं के ज्ञान के उपयोग से निश्चय ही सुख प्रदान करने के लिए उत्तम समृद्धि के धन अन्न और आवागमन के साधन प्राप्त होते हैं.
Combination of (पुरंध्याम) multidiscipline knowledge (घा) definitely (आ भुवत) results in providing excellent bounties of food, public conveniences of travel for comfort.
सुरक्षा के नियम – Safety Code
4. यस्य संस्थे न वृण्वते हरी समत्सु शत्रवः |
तस्मा इन्द्राय गायत || RV 1.5.4,AV20.69.2
भौतिक पदार्थों और उन की प्रक्रियाओं के सम्भावित दुष्परिणामों के रोकथाम के लिए सुरक्षा के साधनों का प्रचार करो.
Explore and provide information & knowledge about the harmful properties of the physical objects and processes.
Importance of R&D अनुसंधान का महत्व
5. सुतपाव्ने सुता इमे शुचयो यन्ति वीतये |

सोमासो दध्याशिरः || RV 1.5.5,AV20.69.3
(सोमासो दध्याशिर:) अनुसंधान के ज्ञान से (सुतपाव्ने सुता) उत्पन्न हो कर सुख समृद्धि के साधनों की नदियां बह चलती हैं
(सोमासो दध्याशिर:) Results of Research and development (सुतपाव्ने सुता) creat a running stream of products & processes for wellbeing.
Make life comfortable सुखमय जीवन
6. त्वं सुतस्य पीतये सद्यो वृद्धो अजायथाः |
इन्द्र ज्येष्ठ्याय सुक्रतो || RV 1.5.6,AV20.69.4
संसार के पदार्थों के सुख को ग्रहण करने ले लिए विद्या आदि उत्तम ज्ञान से प्रेरित हो कर श्रेष्ठ अत्युत्तम कर्मों का अनुष्ठान करो
Reach the status of senior entrepreneur by utilizing the vast store of knowledge and technology to bring comfort and welfare in life of entire community. .

Aim of education शिक्षा का लक्ष्य
7. आ त्वा विशन्त्वाशवः सोमास इन्द्र गिर्वणः |
शं ते सन्तु प्रचेतसे || RV 1.5.7,AV20.69.5
जीवन को सुखदायी बनाने के लिए तुझ में उत्तम व्याख्यान के ज्ञान तथा प्रशिक्षण से अति तीक्ष्ण बुद्धि और कर्मठ प्रवृत्ति जागृत हो .
(गिर्वणः) By good lectures training (विशन्त्वाशवः सोमास इन्द्र ) fast thinking and action oriented temperament (शं ते सन्तु प्रचेतसे) should develop (आ त्वा) in you
8. त्वां स्तोमा अवीवृधन्‌ त्वामुक्था शतक्रतो |
त्वां वर्धन्तु नो गिरः || RV 1.5.8,AV20.69.6
उन्नति के लिए उत्तम ज्ञान और उपदेश की शिक्षा द्वारा तुम सेंकड़ों काम करने का यश प्राप्त करो
With excellent education, knowledge and training develop the reputation of a multitalented achiever.
Enjoy the infinite bounties of Nature
9. अक्षितोतिः सनेदिमं वाजमिन्द्रः सहस्रिणम |
यस्मिन विश्वानि पौंस्या || RV 1.5.9,AV20.69.7
संसार का समस्त भौतिक ज्ञान प्राप्त कर के प्रकृति की असन्ख्य उपलब्धियों को ग्रहण करों
(अक्षितोतिः) Based on knowledge of universal Truth (यस्मिन विश्वानि पौंस्या) by hard work in this physical world (सनेदिमं वाजमिन्द्रः सहस्रिणम ) share the infinite bounties for comfort and welfare . |

Honesty & Fair play
10. मा नो मर्त्ता अभि द्रुहन तनूनामिन्द्र गिर्वणः |
ईशानो यवया वधम्‌ || RV 1.5.10,AV20.69.8
राग द्वेष भेद भाव स्वार्थ से प्रेरित हम अपनी वाणी और व्यवहार से किसी भी जीवधारी का शोषण और अहित न करें
Motivated by greed, personal grudge and ego clash do not allow your conduct and speech to cause hurt or exploit anybody.