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हदीस : मुहम्मद के वंशजों के लिए सम्यक् पाठ्यसामग्री

मुहम्मद के वंशजों के लिए सम्यक् पाठ्यसामग्री

हम विवाह और तलाक की किताब को उसकी एक आखिरी हदीस का उद्धरण देकर समाप्त करते हैं। हदीस का विषय भिन्न है, पर दिलचस्प है। पैग़म्बर के दामाद अली कहते हैं-”वह जो मानता है कि (पैग़म्बर के परिवार के लोग) अल्लाह की किताब और सहीफा (एक छोटी पुस्तिका अथवा परचा जो उनकी तलवार की म्यान के साथ बंधा रहता था) के सिवाय कुछ और भी पढ़ते हैं, वह झूठ बोलता है। सहीफा में ऊंटों के युगों से संबंधित कुछ मसलों पर और नुक्सानों की क्षतिपूर्ति पर समाधान है और साथ ही इसमें पैग़म्बर के शब्द भी दर्ज हैं …… वह जो किसी नए आचार का प्रवर्तन करता है अथवा किसी प्रवर्तन करने वाले को सहायता देता है उस पर अल्लाह की ओर से और उनके फ़रिश्तों की ओर से और सारी मानवजाति की ओर से लानत है“ (3601)।

author : ram swarup

HADEES : BARTER DISAPPROVED

BARTER DISAPPROVED

In some matters, the Prophet was modern.  He disapproved of the barter system and in its place stood for money-exchange.  The collector of the revenues from Khaibar once brought Muhammad some fine dates.  Muhammad asked whether all the dates of Khaibar were of such fine quality.  The collector said: �No.  We got one sA [of fine dates] for two sAs [of inferior dates].� Muhammad disapprovingly replied: �Don�t do that; rather sell the inferior quality of dates for dirhams[money], and then buy the superior quality with the help of dirhams� (3870).

author : ram swarup

हदीस : गुलामी के अपने फायदे भी हैं

गुलामी के अपने फायदे भी हैं

कहने और करने की बातें अलग रहीं, गुलामी को कोई बड़ा अभिशाप नहीं माना गया। उस स्थिति के अपने फायदे हैं। ”जब एक गुलाम अपने मालिक का कल्याण चाहता है और अल्लाह की इबादत करता है तब उसके लिए दो इनाम तय हो जाते हैं“ (4097)।

author : ram swarup

HADEES : IMPROPER EARNINGS

IMPROPER EARNINGS

Muhammad also �forbade the charging of price of the dog, and earnings of a prostitute and sweets offered to a KAhin[soothsayer]� (3803).  He said that �the worst earning is the earning of a prostitute, the price of a dog and the earning of a cupper� (3805).

Muhammad had a great dislike for dogs.  He said: �It is your duty to kill the jet-black [dog] having two spots [on the eyes], for it is a devil� (3813).  �Abdullah, �Umar�s son, tells us that the Prophet �ordered to kill dogs, and he sent men to the corners of Medina that they should be killed. . . . and we did not spare any dog that we did not kill� (3810, 3811).  Later on, on representation, an exception was made in the case of dogs meant for hunting and for protecting the herds.  With the exception of these dogs, anyone who kept a dog �lost two qIrAt [the name of a measure] of reward every day� (3823).

Muhammad also forbade the sale of wine, carcasses, swine, and idols.  �May Allah the Exalted and Majestic destroy the Jews; when Allah forbade the use of fat of the carcass for them [see Leviticus 3:17], they melted it, and then sold it and made use of its price� (3840).

author : ram swarup

हदीस : अन्य असमर्थताएं

अन्य असमर्थताएं

आजाद हो जाने पर भी गुलाम अनेक असमर्थताओं का शिकार रहता है। वह किसी नए पक्ष के साथ मैत्री नहीं कर सकता। न ही वह भूतपूर्व स्वामी की अनुमति पाए बिना किसी पक्ष को मैत्री का प्रस्ताव पठा सकता है। ”जो कोई किसी गुलाम से उसके पहले के मालिक की स्वीकृति के बिना मैत्री करता है उस पर अल्लाह की और उसके फ़रिश्तों की और पूरी मानवजाति की ओर से लानत है“ (3600)।

author : ram swarup

 

HADEES : THE PROPHET AS A LANDLORD

THE PROPHET AS A LANDLORD

Several ahAdIs (3758-3763) show that Muhammad�s own business practices could be sharp.  �Abdullah, the son of �Umar, reports that �when Khaibar had been conquered, it came under the sway of Allah, that of his Messenger and that of the Muslims� (3763).  Muhammad made an agreement with the Jews of Khaibar that they could retain the date-palms and the land on the condition that they worked them with their own wealth (seeds, implements) and gave �half of the yield to Allah�s Messenger� (3762).  Out of this half, �Allah�s Apostle got the fifth part,� and the rest was �distributed� (3761).  This lends credence to the common observation that those who control the funds, whether in the name of Allah or the state or the poor, are apt to spend them first on themselves.

These acquisitions enabled Muhammad to give each of his wives 100 wasqs (1 wasq = about 425 English pounds), 80 wasqs of dates, and 20 wasqs of barley per year.  When �Umar became the KhalIfa he distributed the land and gave the wives of Allah�s Apostle the option of taking the land or the yearly wasqs.  Their reactions to this offer differed.  �Aisha and Hafza, two wives of the Prophet, �opted for land and water� (3759).

author : ram swarup

हदीस : गुलाम की संपत्ति का वारिस कौन ?

गुलाम की संपत्ति का वारिस कौन ?

अगर एक गुलाम को आजाद भी कर दिया जाये, तो भी उसकी संपत्ति मुक्तिदाता की होगी (3584-3595)। आयशा एक गुलाम लौंडी, वरीरा, की मदद करना चाहती थी। वह उसकी आजादी इस शर्त पर खरीदने को तैयार थी कि ”मुझे तुम्हारी सम्पत्ति पर अधिकार मिलेगा। लेकिन लौंडी का स्वामी नगद दाम लेकर ही उसको तो आज़ाद करने का इच्छुक था। वह लौंडी की सम्पत्ति का हक़ अपने पास रखना चाहता था। मुहम्मद ने आयशा के हक़ में यह फैसला दिया-”उसे खरीद लो और मुक्त कर दो, क्योंकि संपत्ति का उत्तराधिकार उसका होता है, जो मुक्त करता है।“ फिर मुहम्मद ने फटकार लगाई-”लोगों को क्या हो गया है, जो वे ऐसी शर्तें रखते हैं जो अल्लाह की किताब में नहीं पायीं जातीं“ (3585)

author : ram swarup

 

हदीस : कौन-से गुलाम मुक्ति के पात्र हैं ?

कौन-से गुलाम मुक्ति के पात्र हैं ?

सिर्फ़ मोमिन गुलाम ही आजादी का पात्र है। किसी ने एक बार अपनी गुलाम बांदी को थप्पड़ जमा दिया और तब पछतावे की भावना से उसे आज़ाद करना चाहा। मुहम्मद से सलाह ली गयी। वे बोले-”उसे मेरे पास लाओ।“ वह लायी गयी। मुहम्मद ने उससे पूछा-”अल्लाह कहां है ?“ वह बोली-”वह जन्नत में है।“ मुहम्मद ने पूछा-मैं कौन हूं ?“ उसने जवाब दिया-”आप अल्लाह के पैगम्बर हैं।“ मुहम्मद ने यह फैसला सुनाया-”उसे आजाद कर दो। वह मोमिन औरत है“ (1094)।

 

इस प्रकार एक गुलाम को आजाद करने से पुण्य प्राप्त होता है। ”उस मुसलमान को जो एक मुसलमान (गुलाम) को मुक्त करता है, अल्लाह दोज़ख की आग से बचायेगा। गुलाम के हर अंग के एवज में मुक्त करने वाले का वही अंग आग से बचाया जायेगा। यहां तक कि उनके गुप्तांगों के बदले में मुक्ति दाता के गुप्तांग बचाये जायेंगे“ (3604)।

 

अपने साझे गुलाम को भी व्यक्ति अपने हिस्से की हद तक मुक्त कर सकता है। बाकी के लिए उस गुलाम के दाम तय किए जा सकते हैं। और गुलाम से ”अपनी आजादी के लिए काम करने को कहा जायेगा। लेकिन उसके ऊपर बहुत ज्यादा बोझा नहीं डालना चाहिए“ (3582)।

author : ram swarup

HADEES : CONTRACTS

CONTRACTS

Muhmmad recognized the contract system.  Unless otherwise laid down in the contract, �he who buys a tree after it has been fecunded, its fruits belongs to one who sells it. . . . and he who buys a slave, his property belongs to one who sells him� (3704).

author : ram swarup