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ताज महल ही बाक्की रह गया था !

taajmahl and azam

आज आजमखान की मांग टीवी पर देखने को मिली ये नेता जी ताजमहल को वक्फ बोर्ड को देने की मांग कर रहे थे, जिसे एक इमाम ने समर्थन देते हुए यह भी कह दिया है की ताजमहल में ५ वक्त की नमाज भी होनी चाहिए, आजमखान कह रहे है की ताजमहल को वक्फ बोर्ड को सौंप दिया जाए क्योंकि यह एक मकबरा है और मकबरा होने के नाते इस पर वक्फ बोर्ड का हक़ बनता है, वक्फ बोर्ड को सौंपने से इससे होने वाली आमदनी से मुसलमानों की तालीम में उपयोग में लिया जा सके, और इसकी आमदनी से कम से कम दो यूनिवर्सिटी बन सकती है, बड़ा अचरज हुआ इनकी बेबुनियाद मांग को देख कर, क्या इन्हें सरकार द्वारा दी जा रही सब्सिडी कम लगती है, क्या देश की हजारों मस्जिदों से इतना धन भी प्राप्त नहीं होता की मुसलमानों की तालीम का अच्छे से बंदोबस्त किया जा सके, क्या इन मस्जिदों से प्राप्त धन का उपयोग कुरान में बताये जिहाद पर ज्यादा खर्च होता है ? इसलिए इन्हें अब ताजमहल का पैसा चाहिए |

तालीम की बात आई तो सोचा इनकी तालीम पर थोड़ी रौशनी डाल दी जाए तो आम जनता को कुछ जानकारी मिले और सेकुलरो की आँख की पट्टी खुल सके, इनकी तालीम की जानकारी मिलने के बाद हिन्दू-मुस्लिम भाई भाई शायद बोलना भी पाप लगने लगेगा, आइये आपको मदरसों की तालीम का दर्शन कराते है |

भारतीय मदरसों में भारत में स्कूलों में दी जाने वाली शिक्षा तो दी ही जाती है, यदि यही शिक्षा देनी है तो मदरसों की क्या जरुरत है, यह शिक्षा तो सरकारी स्कूलों में निःशुल्क दी जाती है, और उसमें ऐसा कोई कानून नहीं है की उसमें मुसलमान नहीं पढ़ सकते है हर कोई पढ़ सकता है तो अलग से मदरसा क्यों ?

मदरसों में स्कूली शिक्षा के अलावा एक शिक्षा और दी जाती है जिसे ये खुदाई पुस्तक कहते है, कुरान!! जी हाँ !! मदरसों में कुरानी की तालीम दी जाती है, इस तालीम को पाने के बाद कोई मुस्लिम हिन्दू- मुस्लिम भाई भाई का राग तो कतई नहीं अलापेगा !

ऐसा क्या है कुरान में जो मुसलमान इसकी तालीम पाने के बाद जिहादी बन जाता है, यह सोचने की जरुरत है इसी की जानकारी हम इस लेख में देना चाहते है

देखिये कुरान की तालीम

और जब इरादा करते हैं हम ये की हलाक अर्थात कत्ल करें किसी बस्ती को, और हुक्म करते है हम दौलतमंदों को उसके की, पास! नाफ़रमानी करते हैं, बीच उसके | बस! साबित हुई ऊपर उसके मात गिज़ाब की, बस! हलाक करते हैं हम उनको हलाक करना |
(कुरान मजीद, सुरा ६, रुकू २, आयत ६ )

और देखिये इससे अगली आयत में कहा गया है की-
और बहुत हलाक किये हैं हमने क्यों मबलगो? तुम्हारा खुदा तो जब उसे किसी बस्ती के हलाक करने का शौक चढ़ आये तब उसमें रहने वाले दौलतमंदों को नाफ़रमानी करने अर्थात आज्ञा न मानने वाले का हुक्म दे ! या यूँ कह सकते हैं की इसके इस हुक्म की तामिल करें नाफ़रमानी करो तो उन्हें और उनके साथ बस्ती में रहने वाले बेगुनाहों, मासूम बच्चों तक को अपना शौक पूरा करने के लिए हलाक अर्थात कत्ल करें !

और देखिये
और कत्ल कर दो, यहाँ तक की ना रहे फिसाद, यानी गलबा कफ्फार का ||
(कुरान मजीद, सुरा अन्फाल, आयत ३९)
मुशिरकों को जहाँ पाओ कत्ल कर दो और पकड़ लो और घेर लो और हर घात की जगह पर उनकी ताक में बैठे रहो …….||
(कुरान मजीद, सुरा तौबा, आयत ५)
इस आयत का नतीजा यदि देखना है तो देखो कश्मीरी पंडितों के साथ क्या हुआ था, केवल एक पत्र दिया गया की घर खाली करों एक दिन का समय है अन्यथा मार दिए जाओगे, और काफी संख्या में कश्मीरी पंडित मार दिए गए या भगा दिए गए,

और देखिये

ऐ नबी ! मुसलमानों को कत्लेआम अर्थात जिहाद क लिए उभारो ……||
(कुरान मजीद, सुरा अन्फाल, आयत ६५)

जब तुम काफिरों (गैर मुसलमान) से भीड़ जाओ तो उनकी गर्दन उड़ा दो, यहाँ तक की जब उनको खूब कत्ल कर चुको, और जो जिन्दा पकडे जाएँ, उनको मजबूती से कैद कर लो
(कुरान मजीद, सुरा मुहम्मद, आयत ४)

ऐ पैगम्बर! काफ़िरों और मुनाफिकों से लड़ो और उन पर सख्ती करो, उनका ठिकाना दोज़ख है, और वह बहुत ही बुरी जगह है |
(कुरान मजीद. सुरा तहरिम, आयत ९)

यह नजराना है कुरान से आपके लिए इसके अतिरिक्त भी बहुत कुछ भरा पड़ा है इस खुदाई पुस्तक में, अब कहिय जनाब ! यहाँ आपका क्या कहना है ? इन आयतों में क्या यहाँ धर्म के विरोधियों, जालिमों और बदमाशों के कत्ल करने इजाजत नहीं है | बल्कि स्पष्ट तौर पर काफ़िरों को कत्ल करने का निर्देश है, और आप ये जानते हैं की “काफिर” बद्चलनों, बदमाशों, चोरों, डाकुओं, लुटेरों और दुष्टों आदि को नहीं बल्कि उनको कहा जाता है जो की हजरत मोहम्मद साहब को खुदा का रसूल ना मानें, चाहे वो शख्स कितना भी नेक चलन, अच्छे आचरण वाला भला आदमी ही क्यों न हो ?
परन्तु चाहे जनता दुष्टाचरण करने वाली भी हो, दुनियाभर की बुराइयां उसमें मौजूद हों, परन्तु वह हजरत मोहम्मद साहब को खुदा का रसूल मान ले, बस! समझों की वह मोमिन बने बनाये हैं |

इतना कुछ जानने के बाद भी यदि आप मदरसों में दी जाने वाली तालीम के पक्षधर है, तो आपसे बड़ा धर्म का दुश्मन कौन हो सकता है, आजमखान साहब मदरसों की तालीम से इतना मोह कैसे है क्या मुज्जफरनगर दंगों से भी बड़ा काण्ड करने की इच्छा है क्या ??

अब ये सवाल तो स्वयं आजमखान चाह कर भी नहीं दे सकते है खैर मदरसों की चल चलन हम तो भलीं भांति जानते है बाकी पाठकगण समझदार है लेख पढ़े कुछ खामियां हो तो अवगत जरुर कराये

और हाँ !! अपना सेकुलरिज्म का चश्मा जरुर उतार लें !!

औ३म

नमस्ते