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हिन्दू संस्कृति-हिन्दू धर्म व हिन्दू जाति :राजेन्द्र जिज्ञासु

हिन्दू संस्कृति-हिन्दू धर्म व हिन्दू जातिः-

देशभर में जातिवादी घातक आन्दोलन चल रहे हैं। घर वापसी की बात करके हिन्दू जाति के वाकशूर रक्षक घरों में जा बैठे हैं। जाति बन्धन तोड़ने व शुद्धि के लिये क्या किया? आर्यसमाज से कुछ सीखते तो कुछ जाति हित होता। आर्यसमाज में भी इनके भाषण सुनकर एक ने शुद्धि आन्दोलन के कर्णधारों के कुछ नाम उगलते हुए किसी ‘ऋषिदेव’ का नाम लिखा बताते हैं। आर्यसमाज में ऋषि देव नाम का कोई व्यक्ति शुद्धि का प्रचारक नहीं रहा। कल्पित इतिहास का क्या लाभ। मेहता जैमिनि, पं. भोजदत्त, स्वामी स्वतन्त्रानन्द, पं. शान्तिप्रकाश, पं. चमूपति, पं. नरेन्द्र जी हैदराबाद तो इन अति उत्साही लेखकों को भूल गये या पता नहीं।

टी.वी. के भगवानों की आरतियाँ व महिमा सुन-सुनकर रोना आता है। देश में बेकारी फैली है। भगवानों के मुकट व सिंहासनों के समाचार पढ़िये। भगवान बढ़ रहे हैं और उनकी सपदा बढ़ रही है। जातीय रोग बढ़ रहे हैं। आर्यसमाज राजनेताओं को महिमा मण्डित करने के लिए समेलन सजाता रहता है। कुछ वक्ता सरकारी भार बनकर मन्त्रियों का गुणगान करके आर्यसमाज का अवमूल्यन कर रहे हैं।