सुर्यादास- देखो भाई , अब हम अंग्रेजों की गुलामी से छूट गए. अब हम स्वतंत्र हैं .
बुद्धि प्रकाश- ठीक तो है . एक गुलामी गयी परन्तु कई प्रकार की गुलामी बाकी हैं. जब तक दुसरी गुलामियाँ रहेंगी हम कभी स्वतंत्र नहीं कहलाये जा सकते .
सुर्यादास – क्या स्वतंत्र नहीं है ? हम अपने देश के आप मालिक हैं . हमीं में से प्रधानमंत्री है हमीं में से राष्ट्रपति है हमीं में से कलेक्टर और कमिश्नर हैं . हमीं में से गवर्नर भी है .
बुद्धि प्रकाश- यह तो सच है. परन्तु जब तक देश में अविद्या का राज है तब तक स्वतंत्रता प्राप्त नहीं हो सकती अविद्या की गुलामी सबसे बड़ी गुलामी है .
सुर्यादास – आपका क्या मतलब है . हम किसके दास हैं ?
बुद्धि प्रकाश- लीजिये भारतवर्ष में सबसे बड़ी दासता है सितारों की . बच्चा पैदा होते ही ज्योतिषी से पूछते हैं की इसके गृह कैसे हैं ?
सुर्यादास – तो क्या जन्मपत्री नहीं बनवानी चाहिए ? फिर आयु की गणना कैसे होगी? कैसे मालूम होगा की अमुक आदमी इतना बड़ा है ?
बुद्धि प्रकाश- आयु के लिए साधारण तिथि से काम चल सकता है . लाल पीले जन्म पत्र की क्या आवश्यकता है ? यह जन्म पत्र नहीं शोक पत्र हिया . बालक के माता पिता दर जाते हैं की बालक के अमुक ग्रह ख़राब हैं .
सुर्यादास – भाई साहब , पहले ग्रहों का दोष मालूम हो जाने से ग्रहों को शांत कर सकते हैं .
बुद्धि प्रकाश- ग्रहोंकी शांति का क्या अर्थ ? मनुष्य का भाग्य उसके कर्मों से मिलता हिया. कर्मों का फल तो अवश्य ही भोगना है. गीता में लिखा है
अवश्यमेव भोकतम कृतं कर्म शुभाशुभम
ग्रहों का कर्मफल से क्या सम्बन्ध ? ग्रह तो अपनी चाल चलते हैं. उनकी चाल तो आकाश में नित्य रहती है . उन्हीं“ग्रहों” में अच्छे आदमी अच्छे कर्म करते हैं . बुरे आदमी बुरे .
ग्रहों की शांति तो ठग विद्या है . ज्योतिषियों ने लोगों से दान दक्षिणा लेने के लिए मनमानी बात गढ़ ली है . यदि शनिश्चर नक्षत्र तुमसे नाराज है तो पंडित जी को दक्षिणा देकर वह कैसे प्रसन्न होगा ? भला क्या पंडित जी शनिश्चर के एजेंट या वकील हैं ? या शनिश्चर के कोई रिश्तेदार हैं ? हमको तो यही दीखताहै की पंडित जी स्वयं ही शनिश्चर हैं जो पुरश्चरण की सामग्री है वह पंडित जी के ही घर रह जाती है . शनिश्चर तक नहीं पहुँचती .
सुर्यादास – अजी देखिये . लड़केलड़की का विवाह भी जन्म पत्र देखकर ही होता है . ग्रह मिलने से वैवाहिक जीवन सुख से बीतता है .
बुद्धि प्रकाश- हम भी यही कहते हैं . भाग्य अपने कर्मों से बनता है . ग्रहों के प्रभाव से नहीं . एक ही महूर्त में लाखों बच्चे उत्पन्न होते हैं . कोई राजा होता है कोई आयु भर रंक अर्थात फ़कीर ही रहता है. ग्रह मनुष्य का न कुछ बिगाड़ सकते हैं न ही बना सकते हैं . जब भाग्य पर ही निर्भर होना है तो नक्षत्रों और ग्रहों का मुंह ताकना मुर्खता है और जो स्वयं मूर्खों को ठगते हैं वह ठग हैं . यदि ज्योतिषी लोग स्वयं सबसे सुखी होते उनके घर में कुसमय मृत्यु न होती या वह मृत्यु को पुरश्चरण द्वारा टाल सकते थे .
सुर्यादास – ज्योतिषी तो पहले से ही बता देते हैं की अमुक दिन ग्रहण पड़ेगा और उसकी बात सच निकलती है.
बुद्धि प्रकाश- यह तो ग्रहों की चाल का हिसाब है . भूगोल के साधारण विद्यार्थी भी जानते हैं की पृथ्वी अपनी कीली पर घुमती है और सूर्य के चारो और भी और चाँद पृथ्वी के चारों और घूमता है . जिस रात पृथ्वी सूर्य और चाँद के बीच में इस प्रकार आ जाती है कि सूर्य की किरणों को पृथ्वी बीच में ही रोक लेती है और चाँद तक नहीं आने देती उस दिन चाँद ग्रहण पड जाता है और जिस दिन चाँद पृथ्वी और सूर्य के इस प्रकार बीच में आ जाता है की सूर्य की किरणों को चाँद बीच में ही रोक लेता है और पृथ्वी तक नहीं आने देता उस दिन सूर्य ग्रहण पड़ जाता है . स्कूलों में इस प्रकार के गोलों के यन्त्र दिखाए जाते हैं जिससे ठीक बात समझ में आ जाती है .
सुर्यादास- तो क्या राहू और केतु राक्षसों के आक्रमण की बात झूटी है .
बुद्धि प्रकाश- पंडित जी आप विद्वान होकर ऐसी अनर्गल बातों पर विश्वास करते हैं . यदि राहू और केतु कोई वास्तविक राक्षस होते तो कोई बतावे की वह कहाँ रहते हैं ? अमावस्या और पूर्णिमा कोई ही क्यूँ आक्रमण करते हैं ? और आपके गंगा नहाने और मेहतरों को दान देने से प्रभाव कैसे नष्ट हो जाता है .
सुर्यादास- देखिये अभी कुछ दिन हुए नक्षत्रों में गड़बड़ हो गयी थी ? काशी के पंडितों ने बहुत से पुरश्चरण कराये . सारे भारतवर्ष में कोलाहल मच गया . बड़े बड़े यज्ञ किये गए .
बुद्धि प्रकाश- यह कोलाहल तो केवल मुर्ख हिन्दुओं को डराने और लुटने के लिए था . आप जैसे डर गए और ज्योतिषियों की ठगाई से देश भर के लोगों में चिंता की लहर फ़ैल गयी . बुद्धिमानों ने कुछ भी चिंता नहीं की . न उनके बीच कुछ कोलाहल हुआ . यही तो सितारों की गुलामी है . बच्चा पैदा होने से लेकर मृत्यु तक ज्योतिषी उसका पीछा नहीं छोड़ते नाम रखेंगे तो सितारों से पूछकर. मुंडन करेंगे तो सितारों से पूछ कर . विवाह करेंगे तो सितारों से पूछकर :
अंजुम शनास को भी खलल है दिमाग का
पूछो अगर जमीन की कहे आसमां की बात
सुर्यादास- बड़े बड़े प्रोफ़ेसर जज वकील सभी तो ज्योतिषियों से ग्रह दिखाते हैं और जन्म पत्र बनवाते यहीं .
बुद्धि प्रकाश- यह न पूछिए इसी को टी भेडचाल कहते हैं . यह लोग स्कूलों में कुछ और पढ़ते और घर में आकर मुर्ख बन जाते हैं . वह गणित ज्योतिष आदि सभी विद्याओं को पढ़ते हैं परन्तु अन्धविश्वास उनका पीछा ही नहीं छोड़ता . ज्योतिषी लोग उनकी स्त्रियों को बहकाया करते हैं . जिन देशों में नक्षत्रों पर विश्वास नहीं किया जाता वहां तो ज्योतिषियों की कुछ नहीं चलती . क्यों कोई बुध्धिमान सेनापति ज्योतिषियों से मुहूर्त दिखाकर लड़ाई करेगा . क्या कोई बुद्धिमान वकील ज्योतिषियों से पूछकर मुकदमे लडेगा? क्या कोई बुद्धिमान व्यापारी ज्योतिषियों से पूछकर व्यापार करेगा? क्या कोई कालेज का विद्यार्थी परीक्षा उत्तीर्ण होने के लिए ज्योतिषियों और जन्म पत्र पर विश्वास करके परीक्षा उत्तीर्ण करेगा ? भारतवर्ष सैकड़ों वर्षों से भुत प्रेत चुडैलों और सितारों का गुलाम रह चुका. अब इस पर दया कीजिये .
हमारे क्रांतिकारियों शहीदों तथा अन्य देश भक्तों के आत्म त्याग से देश स्वतंत्र हुआ है ज्योतिषियों की करतूतों से नहीं. अब भी यदि देश को शत्रुओं के हाथ से बचा सकेगा तो चतुर नीतिज्ञ और वीर सेनाध्यक्ष ही बचा सकेंगे . ज्योतिषियों के पोथी पत्रे धर के धरे रह जायेंगे . नक्षत्र बेचारे तो हमसे कुछ कहते सुनते नहीं . वह क्या कहें ? वह तो जड़ हैं . चेतन नहीं . हमको डर अगर है तो इन धूर्त ज्योतिषियों का है जो बिना वकालतनामे के ही इन ग्रहों के वकील बने हुए हैं . कैसी हंसी की बात है किशनिश्चर को तेल कीदक्षिणा देने से शनिश्चर देवता का कोप दूर हो जाये .
देहात में इन ज्योतिषियों की चाल खूब चल जाती है . अतः हमारे ग्रामों के लोगों को इससे सावधान रहना चाहिए . स्त्रियों और बालकों को भी चाहिए कि इनके पास न फटकें और इस नियम कोई दृढ गाँठ बांधकर याद कर लें कि – अच्छेकर्मों का अवश्य अच्छा फल मिलेगा और बुरे कर्मों का बुरा . झूठ मक्कारी चोरी जारी इनसे बचिए और ग्रहों या सितारों के चक्कर में मत पड़िए .
बेवकूफी। ज्योतिषविज्ञान भी तो, उसके अच्छे और बुरे कर्मोंका दर्पण है। स्थूलबुद्धि आर्यसमाजी , नाहक ही विवाद करते हो। फलित ज्योतिष दुनियाके सभी भागों मे किसी-न-किसी रूप में चलता ही है। यह एक सूक्ष्म विज्ञान है, जिसकी परीक्षा रोज ही होती है। यह आर्यसमाजियों के प्रमाणपत्र का मोहताज नहीं है।
Priy Hariprasaad Ji,
Pramanpatra ki aawashyakata to aapke ki bhee naheen hai lekin jin 9 grahon ko aap ginate hein jara dekhiye to sahee kya wo sabhee grah hein bhee ya nheen…
aasha hi aap tark sahit uttar denge .. Bina tarke ke gaal bajanaa bhee theek naheen atah aap batwaen ki lekhak ka tark kahan galat aur aapka kis prakar sahee hai
वैदिक आर्ष ग्रंथानुसार ज्योतिष शास्त्र की परिभाषा है “ज्योतिषम् नेत्रमुच्यते”।ज्योतिमान्, प्रकाश व ऊर्जा के मूल स्रोत नक्षत्रों और ग्रहों व अन्य पिण्डों की संरचना, गति व समस्त खगोलीय ज्ञान का अध्ययन व शोध ही ज्योतिष है। ग्रह, पिण्डों की चाल व स्थिति से ॠतुओं के आगमन का पूर्वानुमान व उनसे प्रकृति पर पड़ने वाले प्रभाव व अन्य परिणामों का पूर्वानुमान व अध्ययन ही ज्योतिष है। जिसमें खगोल विज्ञान, अंक गणित, रेखा गणित व विज्ञान की अन्य विधाएँ हैं। जड़ परमाणुओं से निर्मित नक्षत्र सिर्फ़ प्रकाश देते हैं।
ज्योतिष भी एक विज्ञान है और सभी बुद्धिजीवीयो को बग़ैर किसी पूर्वाग्रह के इसके सार को समझने व इस पर अन्वेषण की आवश्यकता है. इसलिये सभी सनातन धर्मियो से मेरा विनम्र निवेदन है कि बग़ैर किसी पूर्वाग्रह के इसे स्वीकार करके इसके प्रामाणिक पहलुओं को संसार के लोगों के सामने लाए और उनकी उन्नति के लिए उसे प्रयोग करे । धन्यवाद.
देव चौधरी
देव चौधरी जी
ज्योतिष भी विज्ञान है इस बात को स्वीकार करता हु | ज्योतिष में जैसे सूर्य कब उदय होगा कब चन्द्र ग्रहण होगा कब सूर्य ग्रहण होगा इन सब की बात सही है जिसे हम स्वीकार करते हैं और यह सत्य भी है | हमें आपत्ति फलित ज्योतिष पर है जिसमे यह बोला जाता है की आपकी नौकरी इस समय होगी आपकी शादी इसा समय होगी आपके इतने बच्चे होंगे इन सब बातो पर आपति है हमें ? कोई यह नहीं बतला सकता भविष्य में क्या होनेवाला है अभी कुछ दिन पहले ही न्यूज़ २४ और कुछ न्यूज़ चैनल ने यह दिखाया था ज्योतिष के आधार पर की २ अक्टूबर को दुनिया तबाह हो जायेगी ? क्या यह हुवा ? इसी तरह २०१२ में दिसम्बर में बोला गया था २००० में बोला गया था | भाई अंधविश्वास को छोडो | वेद की ओर लौटो | धन्यवाद |