स्त्री और इस्लाम
-प्रश्न करते हैं तुझसे रजस्वला को कह वो अपवित्र हैं पृथक् रहो ऋतु समय में उनके समीप मत जाओ जब तक कि वे पवित्र न हों, जब नहा लेवें उनके पास उस स्थान से जाओ खुदा ने आज्ञा दी।। तुम्हारी बीबियाँ तुम्हारे लिये खेतियाँ हैं बस जाओ जिस तरह चाहो अपने खेत में।। तुमको अल्लाह लग़ब;बेकार,व्यर्थ शपथ में नहीं पकड़ता।। मं0 1। सि0 2। सू0 2। आ0 222- 2241
समी0-जो यह रजस्वला का स्पर्श संग न करना लिखा है, वह अच्छी बात है। परन्तु जो यह स्त्रियों को खेती के तुल्य लिखा और जैसा जिस तरह से चाहो, जाओ यह मनुष्यों को विषयी करने का कारण है। जो खुदा बेकार शपथ पर नहीं पकडत़ा तो सब झूठ बोलगें, शपथ तोडंग़े। इससे खुदा झूठ का पव्रर्तक होगा |