भारतीय संविधान के अनुसार यह देश सनातनी नहीं सेक्युलर देश है, विश्व का एकमात्र देश, जिसमें सनातनी (हिन्दू) बहुसंख्यक है, ऐसा देश जो सनातनियों का है, वो आज उनका ना होकर हर मत-मजहब वालों का है, यह सब हमारी चुप्पी और एक गंभीर ना दिखने वाली बिमारी की वजह से है,
जी हां !!!
एक गंभीर ना दिखने वाली बिमारी जिसका नाम है सेक्युलरिज्म !
हर मत मजहब सम्प्रदाय वालों का भाईचारा, जहाँ कोई ऊँचा निचा नहीं, भेदभाव नहीं, सब भाई- भाई की सोच से रहे, पर ऐसा कुछ है नहीं, भारत में सेक्युलरिज्म की परिभाषा बड़ी अजीब और एक मत सम्प्रदाय मात्र को खुश रखने की निति के अनुसार है
भारत में हिन्दुइज्म की बात करना अर्थात सेक्युलरिज्म को खतरा, और इस्लाम हित की बात करना सेक्युलरिज्म है
धार्मिक स्थल का उद्घाटन करने जाने पर आजाद भारत (जो सही मायनों में है नहीं) के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु ने हमारे राष्ट्रपति को इसलिए उदघाटन में ना जाने के लिए समझाया की इससे सेक्युलरिज्म को ख़तरा है ! अजीब बात है किसी हिन्दू धार्मिक स्थल के उद्घाटन से सेक्युलरिज्म को खतरा कैसे ? इसका जवाब और कुछ नहीं मुसलमानों की ख़ुशी को बनाये रखना है, आज तक जितनी सरकारें आई है, वे मुसलमानों को खुश रखने के लिए इस सेक्युलरिज्म को सबसे बड़ा हथियार बनाती आई है, जिसकी परिभाषा बिलकुल इसके नाम से विपरीत और निराली है,
और हिन्दू भी इन शिकारियों के जाल में फसता जा रहा है, हिन्दू मुस्लिम भाई भाई का राग अलापे जा रहा है, हिन्दू और मुस्लिम दो अलग अलग, विपरीत और विरोधी विचारधारा से जुड़े हुए है, दो अलग अलग और विरोधी विचार वाले भाई कैसे हो सकते है ? ये सोचनीय है |
हिन्दू संस्कृति (वैदिक संस्कृति) उदारता से भरी है, हमें कभी जिहादी या हिंसक बनने की शिक्षा नहीं दी जाती, मनुस्मृति में मनु मजहबी नहीं, मनुष्य बनने की सलाह देते है, वेद भी कभी यह नहीं सिखाता की गैर हिन्दू का कत्ल करो या वे तुम्हारे दुश्मन है, यहाँ तक की प्राणी मात्र को ना मारने की सलाह हमें वेद देते है, जितना भाईचारा या उदारता की शिक्षा हमें वेदों से मिलती है वो अन्य किसी से नहीं मिल सकती
वही दूसरी और जिस मजहब को हमें भाई बनाने के लिए यह सरकारें और नए नए संगठन सलाह देते है, उन्होंने कभी या तो यह जानने की कोशिश नहीं की या जानते हुए भी चुप्प रहे की यह मजहब जिस किताब को खुदाई बताता है उसमें गैर इस्लाम के लिए क्या क्या आज्ञा दी गई है, इस्लामिक खुदाई पुस्तक कुरान, गैर इस्लामी को किसी भी तरह से भाई बनाने की सलाह नहीं देती अपितु उन्हें भाई ना बनाने की सलाह देती है, और यदि कोई भावावेश में आकर भाई बना भी ले तो वो मुसलमान नहीं रहता वो भी काफिर हो जाता है,
आइये पहले यह जान लें की काफिर क्या होता है?
काफिर एक अरबी शब्द है यदि google पर सर्च किया जाए तो आपको इसके कई मतलब मिलेंगे और वो मतलब भी सही है, मैंने यहाँ google पर जाने के लिए इसलिए कहाँ है की हमारी मानसिकता ही कुछ ऐसी हो चुकी है, लोगों को अपनों से ज्यादा आजकल परायों पर विशवास है, इसलिए उचित है उन्हें विशवास दिलाने के लिए वहां भेजना !
इसका साधारण सा अर्थ है गैर इस्लामी !!! जो इस्लाम को ना माने जो अल्लाह को ना माने जो इस्लाम में बताई उपासना पद्दति के अलावा किसी और पद्दति को मानता हो और जो नास्तिक हो
गैर इस्लामी को कुरान में नास्तिक ही माना जाता है क्यूंकि इस्लाम के अनुसार दुनिया में इस्लाम ही ऐसा धर्म (किसी प्रकार से इस्लाम धर्म नहीं है ये केवल एक मत का, समूह का नाम है) है जो खुदा का बनाया गया है तो इनके अनुसार गैर इस्लामिक अर्थात “काफिर” होता है |
अब आप जब कुरान पर नजर डालेंगे तो हर दूसरी आयत आपको आपकी विरोधी प्रतीत होगी जो की वाकई में विरोधी है, कुरान में किसी प्रकार के गैर इस्लामी से भाईचारे की कोई सलाह नहीं है, तो आप सोच रहे होंगे की फिर ये मुसलमान हर समय भाईचारे, अमन का राग क्यों अलापते है, तो इसके लिए आपको बड़े ध्यान से भारत के आज की और आजादी से पहले के भारत की जनसंख्या को धर्म के आधार पर बाँट कर देखना होगा
मोहम्मद का एक ही सपना था की उसका बनाया हुआ यह समूह बहुत बड़ा विस्तार करें उसी का परिणाम है की आज इस्लामिक लोग गैर इस्लामी को हर तरीका उपयोग लेकर उन्हें इस्लाम कबुलवाने में लगे है जिसके कई जरिये है, उन पर भी आगामी लेखों में नजर डालेंगे जो आपको हमारी वेबसाइट www.aryamantavya.in पर मिलेंगे
जब मुसलमान कुरान को पूरी तरह से मानते है और उसका अनुशरण भी करते है तो यह सर्वविदित होना चाहिए की मुसलमान गैर मुस्लिम को भाई मान ही नहीं सकते और यदि मानते भी है तो यह “मुहं में राम बगल में छुरी वाली बात होगी
आइये आपको कुछ आयते बताते है जो साफ़ तौर पर काफिरों को मारने का हुक्म देती है अर्थात ऐसी आयते जो मुसलमानों के अजीम दोस्त हिन्दू को मारने के लिए कहती है:-
ला यतखिजिल-मुअमिनुनल……………….|
(कुरान मजीद पारा ३ सुरा आले इमान रुकू ३ आयत २८)
मुसलमानों को चाहिए की मुसलमानों को छोड़कर काफिरों को अपना दोस्त न बनावें और जो वैसा करेगा तो उससे और अल्लाह का कोई सरोकार नहीं है |
या अय्युह्ल्ल्जी-न आमनू ला ……||
(कुरान मजीद पारा ५ सुरा निसा रुकू १८ आयत १४४)
अय ईमान वालों !! तुम ईमान वालों को छोड़कर काफिरों को दोस्त मत बनाओ | क्या तुम जाहिर खुदा का अपराध अपने ऊपर लेना चाहते हो |
कातिलुल्ल्जी-न ला यअमिनू-न………||
कुरान मजीद पारा १० सूरा तोबा रुकू ४ आयत २९)
किताब वाले जो न खुदा को मानते है और न कयामत को और न अल्लाह और उसके पैगमबर की हराम की हुई चीजों को हराम समझते है और न सच्चे दींन अर्थात इस्लाम को मानते है, इनसे लड़ों और यहाँ तक की जलील होकर (अपने) हाथों जजिया दें |
जब अल्लाह ने भाईचारा रखने पर अपना रिश्ता समाप्त करने की धमकी दे रखी है तो यह विचार करने की बात है की मुसलमान अपने परवरदिगार से आपके लिए कैसे नाता तोड़ सकते है बिलकुल नहीं तोड़ेंगे तो आपसे भाईचारा क्यों ?? यह सवाल दिमाग में आना स्वाभाविक है !!
इस भाईचारे के पीछे कई वजह है इसी भाईचारे को जानने के लिए मैंने आपसे जनसंख्या का धर्म के आधार पर बांटने के लिए कहा था
कश्मीर, जहाँ पर कश्मीरी पंडित और मुसलामानों का भाईचारा ही था, फिर अचानक क्या हुआ की सहस्त्रों कश्मीरी पंडितों को मार डाला गया या भगा दिया गया यह विचार करने से पहले ही लोग तर्क देते है की वहां के मुसलमान अच्छे नहीं है तो उनसे मेरा सवाल है की अन्य देशों में रह रहे हिन्दू भी क्या अलग अलग है क्या उनका मत भारतीय हिन्दुओं से अलग है आपका जवाब होगा नहीं !! फिर ये कश्मीर के और बाकी भारत के मुसलमान में अंतर कैसे ??
ये भाईचारे के दुश्मनी में बदलने का कारण है इस्लाम और खुदाई आज्ञा !! जिस समय हिन्दू मुसलमानों में कश्मीर में भाईचारा और अमन चरम पर था, उस समय मुस्लिम वहां अल्पसंख्यक थे और हिन्दू बहुसंख्यक चूँकि हिन्दू हमेशा से उदारता से परिपूर्ण रहा है तो इसी उदारता के कारण उसने मुसलमानों को अपना भाई ही माना जो गलत भी नहीं है क्यूंकि भारतीय मुस्लिम वास्तव में हमारे भाई ही है, जिनके पूर्वजों को ब्लात्पुर्वक हिन्दू से मुस्लिम बनाया गया था और उसी दबाव को आज भी वो सहता हुआ मुस्लिम ही बना हुआ है, और खुदा के डर में जी रहा है
जब कश्मीर में मुस्लिम अल्पसंख्यक से बहुसंख्यक हुए तो इनका भाईचारा दुश्मनी में परिवर्तित होने लगा और छुट पूट लड़ाई झगड़े शुरू हुए खत्म हुए और इन्हीं झगड़ों और परस्पर विरोधी मान्यताओं के चलते और इस्लाम के विस्तार के अपने लक्ष्य को पूरा करने की चाह में मुसलमानों ने हिन्दुओ को कश्मीर से भगाया और मार भी डाला
और यही परिद्रश्य आपको आसाम, बंगाल, केरल और हैदराबाद में भी देखने को मिलेगा इन कारणों पर हमें विचार करना ही होगा, अन्यथा आने वाली पीढ़ी आपको पूरी जिन्दगी कोसती रहेगी
ये भाईचारा आपको भी कश्मीरी पंडितों के दर्द से परिचय कराएगा यह सार्वभौमिक सत्य है यह होगा यदि आपका यह भाईचारा इसी तरह रहा
इस्लाम को जानिये की यह वास्तव में क्या है, क्या यह धर्म है ?? क्या ये अमन और शान्ति का मजहब है ??
नहीं ये केवल और केवल आतंक का दुसरा नाम है, इस्लाम में भाईचारे, अमन, शान्ति और नारी की कोई जगह नहीं है
सेक्युलरिज्म का यह जहर आपको धीरे धीरे खा रहा है और आप इससे अपरिचित बने रह रहे हो आज समय की जरुरत है की हमें धर्म के प्रति निष्ठावान होना होगा
आपसे विनम्र निवेदन है की हमें झगडा कराने वाला ना समझे हम तो स्वयं चाहते है की देश में अमन और शान्ति बने पर ताली एक हाथ से नहीं बजती, वैदिक धर्म तो जन्म से उदार है और हम इस ओर पहल भी करने को तैयार है पर क्या हमारे मुस्लिम भाई इस काफिर दुश्मन कुरान को त्यागने का माद्दा रखते है ??????????
यदि मुस्लिम कुरान भी नहीं त्याग सकते और हमसे भाईचारे की उम्मीद भी रखते है तो यह दोगलापन लगता है इसमें बड़ी साजिश की बू आती है
इसलिए सजग रहिये सतर्क रहिये, समझदार बनिए क्यूंकि भोले दिखने वाले गजब के गोले होते है
आपके विचार रखिये, प्रश्न कीजिये, सुझाव दीजिये आपका स्वागत है और आगामी लेख की थोड़ी सी प्रतीक्षा कीजिये
तब तक के लिए आज्ञा दीजिये
नमस्ते
आर्यमंतव्य
kisee dharm men aisee baten naheen ho sakatee ye logon ke sochane ka aur ccheejon ko batane ka dhang hai aap apane hisaab se isake bare men vichar dhara banate rahate ho isase kuch naheen hota Vikas ke bare men socho bantane ke bare men naheen
sumit ji
नमस्ते
पहले तो आप यह जानिये की धर्म होता क्या है वैदिक धर्म के अलावा कोई दूसरा धर्म नहीं है बाकी सभी तो मत मतान्तर है
दूसरी बात यह की इस्लाम में यह सब कुछ लिखा हुआ है आप पढ़िए आपको जानकारी मिलेगी आपकी जिज्ञासा को शांत करने के लिए ही सम्पूर्ण रेफरेंस वहा दे रखे है, इस्लाम केवल आतंक का दुसरा नाम है, इसके अलावा कुछ नहीं
इस्लाम का मतलब ही शांति होता है,ये क़ुरान के एक दो लाइन लेकर उसका मतलब बताने वाले,कोई भी बड़ी कहानी से ऐसे पंक्ति निकले जा सकते हैं, इन पंक्तियों के मतलब समझने के लिए पूरा कहानी पढ़ना पड़ता है।इस्लाम कहीं से भी गैर मजहबो से नफरत नही सिखाता ,क़ुरान मे सॉफ लिखा है लकुम् दीनकूं वलैदीन ….. अर्थात अगर कोई धर्म स्वीकार खुशी से ना करे तो उसका दीन उस को ही मुबारक दूसरे जगह कहा गया दीन अर्थात धर्म मे कोई जबरदस्ती नहीं है।
Yadi aisa hai to muhammad sahab ne bani auraiya ke logon ko kyon mara
Ye kaisa shanti ka sandesh tha
Bahut ache se aapne samjhaya I thanksful u sir
चलिए हम आपकी बात मान पर सारे हिन्दु इस बात को कैसे मानेगे उनके दिमाग मे अम्बेडकर द्वारा बनाया गया कचरा सवार है आप कुछ भी कर लो हिन्दु कभी एक नही हो सकता और एक दिन अपनी अन्त करवा कर ही मानेगा
prashant pandey जी
नमस्ते
भाई आंबेडकर वादी है तो इंसान ही यदि आप और हम मिलकर कोशिश करेंगे तो कुछ भी असम्भव नहीं है, आप सचेत रहिये औरों को भी कीजिये अपने रिश्तेदारों को समय समय पर इस्लाम से अवगत कराते रहिये
और इनका आर्थिक सहयोग बंद कोजिये
आर्थिक बहिष्कार ही इनकी रीढ़ की हड्डी को तोड़ सकता है
Anyone who thinks islam is religion of peace are requested to read its holy books asa well as its history.
मुझे आपके विचार अच्छे लगते हैं
praveen kumarTyped with Panini Keypad
Typed with Panini Keypad
गौरव जी…नमस्ते
….मैं आपसे पुरी तरह से सहमत हूं….! दुनिया में आज जीतने भी आतंकी संगठन हैं…जैसे- 1.इस्लामिक स्टेट आॅफ इराक अँड सिरीया 2.लष्कर-ए-तोयबा 3. बोको हराम 4. अल कायदा 5. सिमी..इन सब आतंकवादी संगठनों के क्रुरता को आज सारी दुनिया जानती हैं…
ये सब इस्लामिक संगठन हैं…इसिस ने जिस निर्दयता से निष्पाप सामान्य नागरिक सैनिकों की गला काट के हत्या की है. इसका परिणाम तो वह भुगतेंगे ही..इससे ये साबित होता है की ये धर्म ही नहीं है. धर्म का अर्थ हम हिन्दूओं के लिए करूणा है.-जय कृष्ण
हमारे लिये धर्म का अर्थ करूणा” हैं…पर इन इस्लामियो के लिए क्रुरता..इन ईस्लामियोने पाकिस्तान, बांगलादेश बनाके हिंदुस्तान के तुकडे कर दे..लाखो लोगों को अपने ही घर से बेघर किया..उनकी हत्या की.. अगर ओ पाकिस्तान बांग्लादेश को -इस्लामिक रिपब्लिक कंट्री(देश) बना सकते हैं…तो भारत, नेपाल हिन्दूराष्ट्र क्यों नहीं बन सकते… आज ये दोनो देश हिन्दू” बहुसंख्याक हैं…लेकिन आज भी मुसलमान जादा बच्चे पैदा करके , लव जिहाद से अपनी लोकसंख्या बढा के भारत की दोबारा फालनी करना चाहते हैं..- ” जय हिंदूराष्ट्र “…
करूणा ही धर्म है…लेकिन इस्लामियोंके आतंकवाद, क्रुरता, गोहत्या हे ये साबित होता है की ये धर्म ही नहीं है…इन्हीं मुसलमानोंने भारत की फालनी कर पाकिस्तान, बांग्लादेश जैसे इस्लामी देश बनाए..तो भारत, नेपाल ये 2 हिन्दू बहुसंख्याक राष्ट्र हिन्दूराष्ट्र क्यों नही बन सकते…
” मुसलमान जादा बच्चे पैदा करके, लव जिहाद से अपनी लोकसंख्या बढा के भारत की दोबारा फालनी करना चाहते हैं..पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन भारत में बाँब स्फोट करके, सीमा पे हमले करके भारते से हिन्दुओं को मिटाना चाहते हैं…-“जय हिंदूराष्ट्र
करूणा ही धर्म है…लेकिन इस्लामियोंके आतंकवाद, क्रुरता, गोहत्या हे ये साबित होता है की ये धर्म ही नहीं है…इन्हीं मुसलमानोंने भारत की फालनी कर पाकिस्तान, बांग्लादेश जैसे इस्लामी देश बनाए..तो भारत, नेपाल ये 2 हिन्दू बहुसंख्याक राष्ट्र हिन्दूराष्ट्र क्यों नही बन सकते…
” मुसलमान जादा बच्चे पैदा करके, लव जिहाद से अपनी लोकसंख्या बढा के भारत की दोबारा फालनी करना चाहते हैं..पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन भारत में बाँब स्फोट करके, सीमा पे हमले करके भारते से हिन्दुओं को मिटाना चाहते हैं…-“जय हिंदूराष्ट्र
करूणा ही धर्म है…लेकिन इस्लामियोंके आतंकवाद, क्रुरता, गोहत्या हे ये साबित होता है की ये धर्म ही नहीं है…इन्हीं मुसलमानोंने भारत की फालनी कर पाकिस्तान, बांग्लादेश जैसे इस्लामी देश बनाए..तो भारत, नेपाल ये 2 हिन्दू बहुसंख्याक राष्ट्र हिन्दूराष्ट्र क्यों नही बन सकते…
” मुसलमान जादा बच्चे पैदा करके, लव जिहाद से अपनी लोकसंख्या बढा के भारत की दोबारा फालनी करना चाहते हैं..पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन भारत में बाँब स्फोट करके, सीमा पे हमले करके भारते से हिन्दुओं को मिटाना चाहते हैं
Writer has correctly explained. But Hindus are not ready to think. They have destroyed in past and will destroy in future if remained in the same thought process and patern.
धर्म , करूणा है , दया है , न्याय है , जहां न्याय दया और करूणा नही , वहां धर्म नही और जहां धर्म नही वहां अधर्म (ISIS जैसे मानवता के शत्रुओं ) का आतंक बढ जाता है |
ईश्वर की क्रपा होने पर अधर्मी आपस मे टकरा जाते हैं और पुनः शांती की स्थापना संभव हो पाती है |
इस्लाम का मतलब ही शांति होता है,ये क़ुरान के एक दो लाइन लेकर उसका मतलब बताने वाले,कोई भी बड़ी कहानी से ऐसे पंक्ति निकले जा सकते हैं, इन पंक्तियों के मतलब समझने के लिए पूरा कहानी पढ़ना पड़ता है।इस्लाम कहीं से भी गैर मजहबो से नफरत नही सिखाता ,क़ुरान मे सॉफ लिखा है लकुम् दीनकूं वलैदीन ….. अर्थात अगर कोई धर्म स्वीकार खुशी से ना करे तो उसका दीन उस को ही मुबारक दूसरे जगह कहा गया दीन अर्थात धर्म मे कोई जबरदस्ती नहीं है।
भारत से अधिक इस्लाम पाकिस्तान अफगानिस्तान में फैला हुआ है, शान्ति कहाँ है ? जरा हमें भी दर्शन कराए
कश्मीर में इस्लाम को मानने वाले कुरान पढने वाले भरे पड़े है शान्ति कहाँ है ??
भारत में जहाँ जहाँ मुस्लिम बढे है अशांति ही बढ़ी है शान्ति विलुप्त प्रजाति बन गई है
कुरान में शान्ति कितनी आयतों में है हमने तो पढ़ लिया अब आपकी कुरान कोई नये पहाड़ से लाई गई है तो वो आप ही बता सकते हो
विश्व भर में जहाँ भी आतंकवाद है ९० प्रतिशत मुसलमानों का ही है
इससे अधिक प्रमाण किसी मुर्ख को दिए जाए तो वो भी समझ जाएगा