सर्व मनोकामना पूर्ण यज्ञ : एक अवैदिक कृत्य : प्रो राजेन्द्र जिज्ञासु

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आज देश में मन्नत माँगने व मन्नतों को पूरा करवाने का बहुत अच्छा धन्धा चल रहा है I पढ़े लिखे लोग भी अंधविश्वासों की दलदल में फंसकर नदी सरोवर के स्नान पेड़ पूजा कबर पूजा कुत्ते बिल्ली के आगे पीछे घूमकर अपनी मनोकामनाएँ पूरी करवाने के लिए धक्के खा रहे हैं I जो सैकड़ों वर्ष पूर्व कबरों में दबाये गए उनको अल्लाह मियाँ ने मनुष्यों के दुःख निवारण करने का मुख्तार बना दिया है I मनुष्यों की इस दुर्बलता का शिकार आर्य समाजी भी हो रहे हैं I  ऐसे अटार्नी जनरल आर्यसमाज में मनोकामनायें  पूरी करवाने के नए नए जाल फैला रहे हैं I  कुछ सज्जनों का प्रश्न है की किसी से कोई यज्ञ अनुष्ठान करवाने से मन्नत पूरी हो जाती हैं ? कामनाएं पूरी करने के लिए वेदानुसार क्या कर्म करने चाहिए ?

अब इस प्रश्न का क्या उत्तर दें ? परन्तु जब उच्च शिक्षित व्यक्ति व परिवार ऐसा प्रश्न उठायें तो कुछ समाधान करना प्रत्येक आर्य का कर्त्तव्य है I हम महर्षि दयानन्द जी द्वारा इस प्रश्न का उत्तर पाठकों की सेवा में रखते हैं I सर्वकामनाएं ऐसे पूर्ण होती हैं I

१.       “जिसके सुधरने से सब सुधरते और जिसके बिगड़ने से सब बिगड़ते हैं इसी से प्रारब्ध की उपेक्षा पुरुषार्थ बड़ा है I”

२.       फिर लिखा है “ क्योंकि जो परमेश्वर की पुरषार्थ करने की आज्ञा है  उसको जो कोई तोड़ेगा वह सुख कभी न पावेगा”

३.       “जो कोई ‘गुड मीठा है ‘ ऐसा कहता है उसको गुड प्राप्त वा उसको स्वाद प्राप्त कभी नहीं होता I और जो यत्न करता है उसको शीघ्र वा विलम्ब से गुड मिल ही जाता है “

४.       “जो मनुष्य जिस बात की प्रार्थना करता है वैसा ही वर्तमान करना चाहिए “

५.       “अपने  पुरुषार्थ के उपरान्त प्रार्थना करनी योग्य है “

वेदोपदेश आर्ष वचनों के प्रमाण तो हमने दे दिए पोंगापंथी टोटके और अनार्ष वचनों को हम जानते हैं परन्तु उनकी शव परीक्षा यहाँ नहीं करेंगे I धर्म कर्म मर्म हमने ऋषी के शब्दों में दे दिया है .

परोपकारी अक्टूबर (द्वितीय) २०१४

5 thoughts on “सर्व मनोकामना पूर्ण यज्ञ : एक अवैदिक कृत्य : प्रो राजेन्द्र जिज्ञासु”

  1. Arya samaj puranikata ki aur ja raha hai, kyoki Swathyaya ka nitant abhaav hai.Satsang ki quality purvavat kaha hai, rate rataye bhashan aur kahaniya ke atirikta kuchbhi to nahi hota. Vidvano mebhi Chintan ki kami hai.Dhanyavad.

  2. Aapki Bat se mai poornyata sehmat hu ki yah avedik kartya hai, lakin arya vidhwan bhi aiasa hee kar rahe hai, arya samajo mai bhi yah sarva mano kamna poorti yag chal rahe yah dorbhagya poorne hai.

    1. aayra samaj ke mancha se avedic krityon ke karne kee prerna dena …… isase adhik shok ki baat kya hogi…

      Vidwanon ki upeksha kar swadhyay heen logon dwara samaj ke sanchalan karne par patan hee hota hai

  3. Jaisa ki shree Maharaj ne kaha ki kutte billi aur pashuon ke piche bhagne se manokamna purti nahi hoti
    Toh kya Maharaj batayenge ki kyon bhagawan vasudev spree Krishna ne gaay Mata ki seva par baar baar zor diya aur kyun gaay Mata ko sarva kamana sidhdhi dayini Bataya hai?

    1. पशुपालन सेवा से मानव के मस्तिष्क के कुछ हिस्सों का विकास और अभिवृद्धि होती है – यह एक वैज्ञानिक तथ्य है। तो गाय आदि कुछ विशेष पशु की सेवा से मनुष्य के अपने कुछ गुण बढ़ते हैं। लेकिन इस प्राकृतिक प्रक्रिया को अंधविश्वास में सिमटकर किसी विशेष मनोकामना की खातिर “पूजा” का रोल देना… यह धांधली है।

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