सन् १९८८ में श्री राजीव गाँधी के काल में इस नाम की घातक, विषैली तथा देश के लिए सर्वथा अपमानजनक एक पुस्तक हैदाराबद में छपी थी। संसद सदस्य ओवैसी जी मजलिस इत्तहाद उलमुसलमीन के सर्वमान्य नेता हैं और आज श्री राहुल व केजरीवाल की पंक्ति में खड़े सबसे अधिक भाषण देने वाले राजनेता हैं। इस पुस्तक का लेखक इसी पार्टी का नेता कासिम रिज़वी देशद्रोही का अंगरक्षक व एक सेनापति रहा है। हैदराबाद के भारत में विलय को हैदराबाद का पतन बताया गया है। नेहरु जी का तो गुणगान किया गया है। सरदार पटेल, भारतीय सेना व भारतवर्ष को कोसते हुए इन्हें अन्यायी सिद्ध किया गया है। भारत में हैदराबाद के लिये की गई कार्यवाही को पशुतापूर्ण व दानवता सिद्ध किया गया है। क्यों आज तक काँग्रेस ने इस पुस्तक के बारे में चुप्पी साध रखी है। क्या केजरीवाल इसके बारे में ओवैसी से झड़प लेगा? क्या इसका लेखन व प्रकाशन देशद्रोह नहीं है। कासिम रिज़वी को सबसे बड़ा जिहादी बताकर महिमामण्डित किया गया है। पुस्तक २०८ पृष्ठ की है। यह कोई टै्रक्ट नहीं। इसमें यह भी सप्रमाण दिया गया है कि नेहरु जी तो हैदराबाद की शक्ति से भयभीत थे। सरदार ने उसी हैदराबाद को तीन दिन में रौंद डाला।