कुरान समीक्षा : कुरान में जन्नत के नजारे

कुरान में जन्नत के नजारे

कुरान में जन्नत के नजारों को क्या सही साबित किया जा सकता है या ये नासमझ अय्याश अरबी लोगों को फुसला कर इस्लाम में भरती करने का फर्जी लालच की बातें हैं?

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

उलाइ-क लहुम् जन्नातु अदनिन्…………।।

(कुरान मजीद पारा १५ सूरा कहफ रूकू ४ आयत ३१)

यही लोग है जिनके रहने के लिए जन्नत में बाग हैं इन लोगों के मकानों के नीचे नहरें बह रहीं होंगी। वहाँ सोने के कंगन पहनाये जायेंगे और वह महीन और मोटे रेश्मी हरे कपड़े पहनेंगे। वहाँ तख्तों पर तकिये लगाये बैठेंगे। क्या खूब बदला है और क्या खूब आरामगाह है?

इन्-न ल-क अल्ला तजू-अ…………।।

(कुरान मजीद पारा १६ सूरा ताहा रूकू ५ आयत ११८)

और यहाँ (जन्नत में) तुमको ऐसा सुख है कि न तो तुम भूखे रहोगे न नंगे।

व अन्न-क ला तअ्मउ फीहा व ला…………।।

(कुरान मजीद पारा १६ सूरा ताहा रूकू ५ आयत ११९)

और यहां न तुम प्यासे होवोगे और न धूप में रहोगे ।

फवाकिहु व हुम् मुक्रमून………..।

(कुरान मजीद पारा २३ सूरा साफ्फात रूकू २ आयत ४२)

खाने को मेवे और इनकी इज्जत होगी।

अला सुरूरिम्-मु-त-कालिबिलीन……………।।

(कुरान मजीद पारा २३ सूरा साफ्फात रूकू २ आयत ४४)

नेतम के बागों में आमने सामने होंगे।

बैजा-अ लज्जतिल्-लिश्शारिबीन………।।

(कुरान मजीद पारा २३ सूरा साफ्फात रूकू २ आयत ४६)

सफेद रेग वाली शराब पीने वालों को मजा देगी।

ला फीहा गौलुं व्-व ला हुम्…………..

(कुरान मजीद पारा २३ सूरा साफ्फात रूकू २ आयत ४७)

न उससे सर घूमते हैं और उसको पीने के बाद बकते हैं।

व अिन्दहुम् कासिरातुत्तर्फि………।।

(कुरान मजीद पारा २३ सूरा साफ्फात रूकू २ आयत ४८)

उनके पास नीची निगाह वाली बड़ी-बड़ी आँखों वाली औरतें (हूरें) होंगी।

क-अन्नहुन्-न बैजुम्-मक्नून्…………।।

(कुरान मजीद पारा २३ सूरा साफ्फात रूकू २ आयत ४९)

………गोया वह छिपे अण्डे रखे हैं

जन्नाति अद्निम्-मुफत्त-तल्……….।।

(कुरान मजीद पारा २३ सूरा साद रूकू ४ आयत ५०)

हमेशा रहने को जन्नत के बाग जिनके दरवाजे उनके लिए खुले होंगे।

मुत्तकिई-न फीहा यद्अू-न फीहा………..।।

(कुरान मजीद पारा २३ सूरा साद रूकू ४ आयत ५१)

उनमें तकिया लगाकर बैठेंगे, वहाँ जन्नत के नौकरों से बहुत मेवे और शराब मंगावेंगे।

व अिन्दहुम् कासिरातुत-तर्फि…………।।

(कुरान मजीद पारा २३ सूरा साद रूकू ४ आयत ५२)

उनके पास नीची नजर रखने वाली हूरें होंगी और हम उम्र होंगी।

उद्खुलुल्-जन्न-त अन्तुम् व……….।।

(कुरान मजीद पारा २५ सूरा जुरूरूफ रूकू ४ आयत ७०)

तुम और तम्हारी बीबियाँ जन्नत में दाखिल हों ताकि तुम्हारी इज्जत की जावे।

युताफु अलैहिम् बिसिहाफिम्……….।।

(कुरान मजीद पारा २३ सूरा जुरूरूफ रूकू ४ आयत ७१)

उन पर सोने की रकाबियाँ चलेंगी और जिस चीज को उनका जी चाहे और नजर में भली मालूम हो जन्नत में होंगी और तुम हमेशा यहीं रहोंगे।

कजालि-क जव्वज्-नाहुम………..।।

(कुरान मजीद पारा २५ सूरा दुखान रूकू ३ आयत ५४)

ऐसी ही होगा बड़ी-बड़ी आंखों वाली हूरों से हम उनका ब्याह कर देंगे।

म-सलुल्-जन्नतिल्लती बुअिदल्……….।।

(कुरान मजीद पारा २६ सूरा माहम्मद रूकू २ आयत १५)

(जन्नत में) ऐसी पानी की नहरें हैं जिनका स्वाद नहीं बदला और शराब की नहरें हैं जो पीने वालों को बहुत ही मजेदार मालूम होंगी और साफ शहद की नहरें हैं और उनके लिए वहां हर तरह के मेवे होंगे।

मुत्तकिई-न अला सुरूरिम्………..।।

(कुरान मजीद पारा २७ सूरा तूर रूकू १ आयत २०)

हमने बड़ी-बड़ी आँखों वाली हूरें उनको ब्याह दी हैं।

व अम्द द्नाहुम् विफाकिह तिंव……….।।

(कुरान मजीद पारा २७ सूरा तूर रूकू १ आयत २२)

जिस मेवे और मांस को उनका जी चाहेगा हम उनको देंगे।

य-त-नाज अू-न फीहा कअ्-………….।।

(कुरान मजीद पारा २७ सूरा तूर रूकू १ आयत २३)

वह वहाँ आपस में शराब के प्यालों की छीना झपटी करेंगे, उनमें उसे पीने से न बकवाद लगेगी और न कोई गुनाह होगा।

व यतू फु अलैहिम् गिल्मानुल………….।।

(कुरान मजीद पारा २७ सूरा तूर रूकू १ आयत २४)

और लड़के अर्थात! गिलमें उनके पास आयेंगे जायेंगे, गोया यत्न से रखे हुए मोती के मानिन्द हैं।

मुत्तकिई-न अला फुरूशिम्………।।

(कुरान मजीद पारा २७ सूरा रहमान रूकू २ आयत ५४)

फरशों पर तकिये लगाये बैठे होंगे। ताफ्ते और उनके अस्तर होंगे। और दोनों बागों के फल झुके होंगे।

फीहिन-न कासिरातुत्तर्फि………..।।

(कुरान मजीद पारा २७ सूरा रहमान रूकू २ आयत ५६)

उनमें पाक हूरें होंगी जो आँख उठाकर भी नहीं देखेंगी और जन्नत वासियों से पहले न तो किसी आदमी ने उन पर हाथ डाला होगा और न जिन्न ने।

फी हिन्-न खैरातुन् हिसान………..।।

(कुरान मजीद पारा २७ सूरा रहमान रूकू २ आयत ७०)

उनमें अच्छी खूबसूरत औरतें होंगी।

हुरूम्-मक्सूरातुन् फिल- खियामि……….।।

(कुरान मजीद पारा २७ सूरा रहमान रूकू २ आयत ७२)

हूरें जो खेमों में बन्द हैं।

मुत्तकिई-न अला रफरफिन्……….।।

(कुरान मजीद पारा २७ सूरा रहमान रूकू १ आयत ७६)

जन्नती लोग वहाँ सब्ज कालीनों और उम्दा उम्दा फर्शों पर तकिये लगाये बैठे होंगे।

अला सुरूरिम्-मौजूनतिम्…………..।।

(कुरान मजीद पारा २७ सूरा वाकिआ रूकू २ आयत १५)

जड़ाऊ तख्तों के ऊपर।

युतुफु अलैहिम् विल्दानुम-मु………….।।

(कुरान मजीद पारा २७ सूरा वाकिआ रूकू २ आयत १७)

उनके पास लड़के हैं जो हमेशा लड़के ही बने रहेंगे।

बि-अक्वाबिंव्-व अबारी-क…………।।

(कुरान मजीद पारा २७ सूरा वाकिआ रूकू २ आयत १८)

उनके पास आबखोरे और लोटे और साफ शराब के प्याले लाते और ले जाते होंगे।

व हूरून् अीनुन्……………।।

(कुरान मजीद पारा २७ सूरा वाकिआ रूकू २ आयत २२)

और हूरें बड़ी-बड़ी आँखों वाली जैसे छिपे हुए मोती।

इन्ना अन्शअ्नाहुन्-न इन्शा-अन्…………..।।

(कुरान मजीद पारा २७ सूरा वाकिआ रूकू २ आयत ३५)

हम हूरों की एक खास सृष्टि बनाई है।

फ-ज-अल्नाहुन-न अब्कारन्………..।।

(कुरान मजीद पारा २७ सूरा रहमान वाकिआ २ आयत ३६)

फिर इनको क्ंवारी बनाया है।

अरूबन् अत्राबल………….।।

(कुरान मजीद पारा २७ सूरा रहमान वाकिआ २ आयत ३७)

प्यारी-प्यारी समान अवस्था वाली।

लाकिनिल्-लजीनत्तकों रबहुम्………..।।

(कुरान मजीद पारा २३ सूरा जुमर रूकू २ आयत २०)

जन्नत में खिड़कियों पर खिड़कियाँ बनी होती हैं

मुत्तकिई-फीहाअलल्-अराइकि ला…………..।।

(कुरान मजीद पारा २९ सूरा दह रूकू १ आयत १३)

न वहां धूप देखेंगे न ठण्ड।

व दानि -य-तन् अलैहिम् जिला…………।।

(कुरान मजीद पारा २९ सूरा दह्र रूकू १ आयत १४)

वहां वृक्षों की छाया होगी उनके फल भी नजदीक झुके होंगे।

व युताफु अलैहिम् बिआनि-यतिम्…………।।

(कुरान मजीद पारा २९ सूरा दह्र रूकू १ आयत १५)

वहां चांदी के बर्तनों और गिलासों का दौर चल रहा होगा कि वह शीशे की तरह होंगे।

व युस्कौ-न फीहा कअ्-सन्……….।।

(कुरान मजीद पारा २९ सूरा दह्र रूकू १ आयत १७)

वहां उनको शराब के ऐसे प्याले पिलाये जायेंगे, जिसमें सौंठ मिली होगी।

व यतुफ् अलैहिम् विल्दानुम्………..।।

(कुरान मजीद पारा २९ सूरा दह्र रूकू १ आयत १९)

और उनके नजदीक नौजवान लड़के फिरते हैं।

आलि-यहुम् सियाबु सुन्दुसिन्…………।।

(कुरान मजीद पारा २९ सूरा दह्र रूकू १ आयत २१)

और उनका परवरदिगार उन्हें निहायत पाक शराब पिलावेगा।

इन्नल्-अब्रा-र यश रबू…………।।

(कुरान मजीद पारा २९ सूरा दह्र रूकू १ आयत २५)

निःसन्देह सुकर्मी ऐसी शराब के प्याले पीवेंगे जिनमें कपुर की मिलावट होगी।

व कवाअि-ब अत-राबत्……..।।

(कुरान मजीद पारा ३० सूरा नबा रूकू २ आयत ३३)

और नौजवान औरतें हमउम्र।

व कअ्-सन् दिहांका……….।।

(कुरान मजीद पारा ३० सूरा नबा रूकू २ आयत ३४)

और शराब के छलकते हुए प्याले।

युस्कौ-न मिर्रहीकिम्-मखतूम………..।।

(कुरान मजीद पारा ३० सूरा मुतफ्फिफीन (तत्फीफ) रूकू १ आयत २५)

उनको खालिस शराब मुहरबन्द अर्थात शील लगी हुई पिलाई जायेगी।

खितामुहू मिस्क व फी जालि-क……..।।

(कुरान मजीद पारा ३० सूरा मुतफ्फिफीन (तत्फीफ) रूकू १ आयत २६)

जिस (बोतल) की मुहर कस्तूरी की होगी और इच्छा करने वालों को चाहिये कि उसी की इच्छा करें।

जन्नत में हूरों का बाजार होगा

हजरत अब्दुल्लाबिनउमर ने फरमाया कि स्वर्ग में रहने वालों में से अदना (सबसे छोटे) दर्जे का वह आदमी होगा जिसके पास ६० हजार सेवक होंगे और सेवक का काम अलग-अलग होगा। हजरत ने फरमाया कि हर जन्नति ५०० हूरें, ४००० क्ंवारी औरतें और ८००० ब्याहता औरतों से ब्याह करेगा। कुरान पश्चिम तथा                                                       (सही बुखारी)

जन्नत (स्वर्ग) में एक बाजार है जहाँ पुरूषों और औरतों के हुस्न का व्यापार होता है। पस! ज्ब कोई व्यक्ति किसी सुन्दर स्त्री की ख्वाहिश करेगा तो वह उस बाजार में आवेगा जहाँ बड़ी- बड़ी आँखों वाली हूरें जमा हैं। वे कहेंगी कि-

‘‘मुबारिक है वह शख्स जो हमारा है और हम उसकी हैं।’’

(मिर्जा हैरत देहलवी कृत तफसिरूल कुरान सफा ८३ व ८४)

हजरत अंस ने फरमाया‘‘ हूरें गाती हैं, हम सुन्दर दासियाँ हैं, हम प्रतिष्ठित पुरूषों के लिए सुरक्षित हैं।’’

(कुरान परिचय पृष्ठ ११७ तथा मुकद्दमाये तफसीरूल्कुरान पृष्ठ ८३)

ह-दाइ-क व अअ्-नाबंव………..।।

(कुरान मजीद पारा ३० सूरा नबा रूकू २ आयज ३२)

खाने को अंगूर और मेवे होंगे।

व कवाअि-ब अत-राबव्………..।।

(कुरान मजीद पारा ३० सूरा नबा २ आयज ३३)

भौगने को नौजवान औरतें हम उम्र।

फीहा अैनुन् जारियः…………..।।

(कुरान मजीद पारा ३० सूरा गाशियः रूकू १ आयत १२)

वहाँ चश्में बह रहे होंगे।

फीहा सुरूरूम्-मर्फूअतुव्……………।।

(कुरान मजीद पारा ३० सूरा गाशियः रूकू १ आयत १३)

उससे ऊँचे तख्त होंगे।

व अक्वा-बुम्-मौजूअतु व्…………..।।

(कुरान मजीद पारा ३० सूरा गाशियः रूकू १ आयत १४)

उसमें आबखोरे रखे होंगे।

व नमारिकु मस्फू फतुं व…………।।

(कुरान मजीद पारा ३० सूरा गाशियः रूकू १ आयत १५)

गाव तकिये एक पंक्ति में लगे होंगे।

व जरा बिय्यु मब्सूस………।।

(कुरान मजीद पारा ३० सूरा गाशियः रूकू १ आयत १६)

और उम्दा मसनद व कालीन बिछे होंगे।

दर मुख्तार हदीस जिल्द २ सफा १०६ पर लिखा है-

जन्नत में अप्राकृतिक व्यभिचार अर्थात् गुदा मैथुन करना जायज है।

समीक्षा

अरब के लोगों में अप्राकृतिक व्यभिचार लड़को से करने का रिवाज था यह कुरान में मौजूद है जहाँ हजरत लूत के यहाँ आये दो खूगसूरत लड़को (फरिश्तों) को देखकर सारी बस्ती के लोगों को उनसे सम्भोग करने को एकत्रित होने की घटना से स्पष्ट है जो कि कुरान में जगह-जगह पर आता है-

व लूतन इज् का-ल लिकौमिही…………..।।

(कुरान मजीद पारा ८ सूरा आराफ रूकू १० आयत ८१)

………तुम ऐसा बेहयाई का काम क्यों करते हो, जिससे तुमसे पहले किसी ने नहीं किया।

इन्नकुम् ल-तअ्तनर्रिजा-ल शह्……………।।

(कुरान मजीद पारा ८ सूरा आराफ रूकू १० आयत ८१)

यानी अपने मजे की खातिर औरतों को छोड़कर लौड़ों पर गिरते हो अर्थात लौंडेबाजी करते हो।

व जा- अहू कौमुह युह्रअू-न इलैहि………।।

(कुरान मजीद पारा ११ सूरा हूद रूकू ७ आयत ७८)

जैसे लूत की कौम के लोग उनके पास से बे-तहाशा दौड़ते हुए आये, और ये लोग पहले ही से ये गन्दा काम (लौंडे बाजी) किया करते थे। लूत ने कहा कि ऐ कौम !

यह मेरी लड़कियां जो पाक और जायज हैं, ये तुम्हारें लिये हैं, पर आप लोग खुदा से ड़रो और मेरे मेहमानों में मेरी आबरू न खोओ, क्या तुमसे से कोई भला आदमी नहीं है?

का-ल-हाउल्लाह बनाती इन् कुन्तुत्………।।

(कुरान मजीद पारा १४ सूरा हिज्र रूकू ५ आयत ७१)

(उन्होनें) कहा कि अगर तम्हें (सम्भोग) करना ही है तो यह मेरी (कौम की) लड़कियां हैं इनसे शादी कर लो।

ल अम्रू-क इन्नहुम् लफी सक……………।।

(कुरान मजीद पारा १४ सूरा हिज्र रूकू ५ आयत ७२)

(ऐ मुहम्मद) तुम्हारी जान की कसम! वे अपनी मस्ती में मदहोश थे और मेरी बेआबरू अर्थात् गुदा मैथुन करने पर उतारू थे।

व लूतन् इज् का-ल लिकौमिही………..।।

(कुरान मजीद पारा १९ सूरा नम्ल रूकू ४ आयत ५४)

और लूत को याद करो जब उन्होंने अपनी कौम से कहा कि तुम बेहयाई अर्थात् लौंडेबाजी के काम क्यों करते हो?

अ-इन्नकुम ल-तअ्तूनर्-रिजा-ल…………..।।

(कुरान मजीद पारा १९ सूरा नम्ल रूकू ४ आयत ५५)

क्या तुम औरतों को छोड़कर लज्जत हासिल करने के लिए मर्दों अर्थात् लौंड़ों की तरफ मायल होते हो? सच तो यह है कि तुम लोग लौंडेबाजी करने के कारण जाहिल लोग हो।

व लूतन् इज् का-ल लिकौमिही………..।।

(कुरान मजीद पारा २० सूरा अंकबूत रूकू ३ आयत २८)

और लूत ने जब अपनी कौम से कहा कि तुम बेहयाई अपनाते हो, तुमसे पहले दुनिया वालों में से किसी ने ऐसा (गन्दा) काम नहीं किया।

व इन्नकुम् ल- तअ्तूनर-रिजा-ल……….।।

(कुरान मजीद पारा २० सूरा अंकबूत रूकू ३ आयत २९)

क्या तुम अपने मजे के लिए लौंडों की तरफ भागते रहते हो और मुसाफिरों की लूटमार करते रहते हो और अपनी मजलिसों में नापसन्दीदा काम करते रहते हो।

यह सुनकर उनकी कौम के लोग बोले-अगर मुम सच्चे (पैगम्बर) हो तो हमारे ऊपर कोई अजाब (दुख) लाकर दिखाओ।

का-ल रब्बिन्सुर्नी अ- लल्कौमिल्………….।।

(कुरान मजीद पारा २० सूरा अंकबूत रूकू ३ आयत ३०)

हजरत लूत ने कहा कि-

ऐ मेंरे परवरदिगार! इन फसादी लोगों के मुकाबले में मुझे नुसरत इनायत फरमा।

पारा २० सूरा अनाबूत रूकू ३ आयत २८ व २९ के वर्ण से स्पष्ट है-

बेशुमार औरतों से विवाह करना, रखेलें, बाँदियों से व्यभिचार करना अरब में जायज था।

शराबखोरी वहां पर आम थी। उनकी आदतों को देखकर मुहम्मद साहब ने उनको उपने नये मजहब में लाने के लिए जन्नत अर्थात् स्वर्ग में शराबें, औरतें अर्थात् हूरें वे गिलमें अर्थात् खूबसूरत लोंडों का लालच दिया था जिसके चक्कर में फंसकर सैकड़ों ही अय्याश लोग इस्लाम में शामिल हो गये थे। डकैत व बदमाशों को लूट का लालच देकर इस्लाम में खींचा था उसका वर्णन भी इसी पुस्त में दिया गया है।

गैर मुस्लिमों को कत्ल करने या इस्लाम स्वीकार कराने का हुक्म भी दिया गया था और कत्ल करने वालों को जन्नत मिलने का प्रलोभन दिया गया था। जन्नत अर्थात् स्वर्ग की इस कल्पना का केवल यही रहस्य है।

वास्तव में इस प्रकार की जन्नत अर्थात् स्वर्ग का होना स्म्भव नहीं जहाँ खुदा मनुष्यों को व्यभिचार के अलावा कोई ऊँची शिक्षा न दे सके।

शराब, गोश्त व लोंडे और औरतों की भरमार के अतिरिक्त अरबी खुदा की जन्नत में और कुछ भी नहीं है।

इस कुरानी बहिश्त की कल्पना पर इस्लाम के सुप्रसिद्ध विद्वान ‘‘मौलाना सर सैय्यद अहमद खाँ’’ ने अपनी पुस्तक ‘‘तफसीरूल्कुरान भाग १ पृष्ठ ३३’’ पर लिखा है, जो कुरानी जन्नत की असलियत का पर्दाफाश कर देता है।

देखिए- मौलाना सर सैय्यद अहमद खाँ की राय-

‘‘यह समझना कि स्वर्ग एक बाग के रूप में उत्पन्न किया हुआ है और संगमरमर और मोती के जड़ाऊ महल हैं तहां शरसब्ज (हरे भेर) पेड़ हैं, दूध शराब और शहद की नहरें बह रही हैं हर तरह के मेवा खाने को मौजूद हैं।

साकी व साकनीन (शराब देने वाली) अत्यन्त खूबसूरत चाँदी के गहने पहने कंगन पहने हुए जो हमारे यहाँ घोसिनें पहनती हैं, शराब पिला रही हैं और एक जन्नती (स्वर्ग) निवासी एक हूर के गले में हाथ डाले पड़ा है, एक ने रान (उसकी जांघ) पर सर रखा है, एक छाती से लपिट रहा है, एक ने बख्श (प्राणदायी) अधर होठ का बोसा लिया है, कोई किसी कोने में अय्याशी की हालत में पड़ा हुआ है, वहां कु़छ ऐसा बेहूदापन है जिस पर आश्चर्य होता है।

यदि यही बहिश्त (स्वर्ग) है तो बिना मुबालिगा अर्थात् बिना सोचे समझे हम यह कह सकते हैं कि-

‘‘हमारे खराबात अर्थात् वेश्यालय इससे हजार गुना बेहतर हैं।’’

देखिये जन्नत के बारे में मशहूर शायर गालिब ने भी कहा था कि-

हम खुब जानते हैं, जन्नत की हकीकत, गालिब। दिल के बहलाने को मगर ये ख्याल अच्छा है।।

।। समाप्त।।

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