क़ुरान में कुछ आयतें खाने पीने के सम्बन्ध में आई हैं – इन्नमा हर्र्मा अलैकुमुल मैतता व इदमावलहमलखंजीरे व मा उहिल्लमा बिहीबिगैरिल्लाह – सूरते बकर आयत १७३ वास्तव में तुम्हारे मृतक शरीर का (प्रयोग ) हराम (निषिद्ध ) किया गया है. सुअर का लहू व गोश्त भी (अवैध ) है और वह भी (निषिद्ध) है जिस पर खुद के सिवाय कोई और (नाम ) पुकारा जाये। इस्लाम के लोग ‘मैतता ‘ का अर्थ करते हैं जो स्व्यम मर जाएँ। शाब्दिक अर्थ तो यह है ‘ जो मर गया हो’ और उस पर अल्लाह मियाँ का नाम लेने का अर्थ है वध करते हुए अल्लाहो अकबर व बिस्मिल्लाहहिर्रहमानिर्ररहीम पड़ना। इधर दयालु व कृपालु अलह का नाम लेना उधर मूक पशु के … Continue reading हलाल व हराम – चमूपति→
क़ुरान में कसमें खाना निषिद्ध है. अतएव कहा गया है – कुलला तकसमू – सूरते नूर ५३ कह कि कसमें मत खाओ परन्तु स्वयं परमात्मा स्थान स्थान पर कसमें खाता चला जाता है. त अल्लाह लक़द अरसलना – सूरते नहल आयत ६३ कसम है अल्लाह की भेजे हमने पैगम्बर यह कौन है ? – इस बात को ध्यान दें कि कसम खानी भी चाहिए कि नहीं। क्या यह वचन अल्लाह का विदित होता है ? अल्लाह तो अपने आप को हम (बहुवचन ) कह रहा है , परन्तु कसम खाते हुए कहता है कि अल्लाह मियाँ की कसम , स्पष्ट है कि ‘ हम’ कोई और है और अल्लाह मियाँ कोई दूसरा। वलकुरानुल हकीम कसम है कुराने हकीम की … Continue reading अल्लाहमियाँ की कसमें | – चमूपति→
फिर मानव मात्र का अर्थ ही कुछ नहीं – संसार की जनसंख्या की आधी स्त्रियां हिएँ और किसी मत का यह दावा कि वह मानव मात्र के लिए कल्याण करने आया है इस कसौटी पर परखा जाना आवश्यक है कि वह मानव समाज के इस अर्थ भाग को सामजिक नैतिक और आध्यात्मिक अधिकार क्या देता है. क़ुरान में कुंवारा रहना मना है. बिना विवाह के कोई मनुष्य रह नहीं सकता। अल्प व्यस्क बच्चा तो होता ही माँ बाप के हाथ का खिलौना होता है. वयस्क होने पर मुसलमान स्त्रियों को यह आदेश है – व करना फी बयुति कन्ना – सूरते अह्जाब आयत ३२ और ठहरी रहो अपने घरों में यही वह आयत है जिसके आधार पर परदा प्रथा खड़ी … Continue reading क़ुरान में नारी का रूप- चमूपति→
आर्य समाज के त्यागी व तपस्वी कार्यकर्ताओं में एसे अनेक महापुरुष हुए जिनका नाम शिक्शा, साहित्य तथा यहां तक कि रजनीति के क्षेत्र में भी समान रुप से रुचि लेते हुए देश की स्वाधीनता के लिए भर पूर योगदान किया । एसे आर्य समाजियों में पण्डित नरदेव शास्त्री भी एक थे । मात्र पं. नरदेव के नाम से एक भ्रम भी पैदा होता है क्योंकि आर्य समाज के विद्वानों में तीन व्यक्ति एसे हुए जो नरदेव के नाम से जाने गए । इन तीन में एक पं नरदेव वेदलंकार, दूसरे डा. नरदेव शास्त्री तथा त्रतीय हमारी इस कथा के कथानक पं. नरदेव शास्त्री, वेद तीर्थ । इस प्रकार एक के नाम के साथ वेदालंकार , दूसरे के नाम के साथ … Continue reading पण्डित नरदेव शास्त्री→
वानर – वने भवं वानम , राति ( रा आदाने ) गृह्णाति ददाति वा. वानं वन सम्बन्धिनम फलादिकम् गृह्णाति ददाति वा – जो वन उत्पन्न होने वाले फलादि खाता है वह वानर कहलाता है. वर्तमान में जंगलों व पहाड़ों में रहने और वहाँ पैदा होने वाले पदार्थों पर निर्वाह करने वाले “गिरिजन” कहाते हैं. इसी प्रकार वनवासी और वानप्रस्थ वानर वर्ग में गिने जा सकते हैं. वानर शब्द से किसी योनि विशेष जाति प्रजाति अथवा उपजाति का बोध नहीं होता। जिसके द्वारा जाति एवं जाति के चिन्हों को प्रगट किया जाता है वह आकृति है. प्राणिदेह के अवयवों की नियत रचना जाति का चिन्ह होती है. सुग्रीव बाली आदि के जो चित्र देखने में आते हैं उनमें उनके पूंछ … Continue reading हनुमान आदि बन्दर नहीं थे ? – स्वामी विद्यानन्द सरस्वती→