Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
नास्तिकता, वेद की निन्दा और विद्वानों की निन्दा द्वेष, पाखण्ड, अभिमान, क्रोध, उग्रता - तेजी, इनको छोड़ देवें ।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
५५-ईश्वर में अविश्वास, वेद की निन्दा, विद्वानों का निरादर, द्वेष, दम्भ, अभिमान, क्रोध और कठोरता को दूर करे।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
यह यह बातें त्याज्य हैं:-(1) नास्तिक्यम्-ईश्वर को न मानना। (2) वेदनिन्दा-वेद की निन्दा (3) देवतानां कुत्सनम्-विद्वानों की निन्दा (4) द्वेष-वैर (5) दम्भ-पाखण्ड (6) मान-अभिमान या घमंड (7) क्रोध-(8) तैक्ष्ण्यं-तेजी या नुकीलापन।