Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
.( दैविकानां युगानाम् तु) देवयुगों को (सहस्त्रं परिसंख्यया) हजार से गुणा करने पर जो कालपरिमाण निकलता है , जैसे - चार मानुषयुगों के दिव्यवर्ष १२००० होते हैं उनको हजार से गुणा करने पर १,२०,००,००० दिव्यवर्षों का (ब्राह्मम्) परमात्मा का (एकं अहः) एक दिन (च) और (तावतीं रात्रिम्) उतने ही दिव्यवर्षों की उसकी एक रात (ज्ञेयम्) समझनी चाहिए ।