Manu Smriti
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पशवश्च मृगाश्चैव व्यालाश्चोभयतोदतः ।रक्षांसि च पिशाचाश्च मनुष्याश्च जरायुजाः । ।1/43

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
पशु, मृग (हिरन), दो दाँत धारी व्याल (साँप), राक्षस, पिशाच, मनुष्य यह सब जरायुज (गर्भ से उत्पन्न होने वाले) हैं।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
(पशवः) ग्राम्यपशु गौ आदि (मृगाः) अहिंसक वृत्ति वाले वन्यपशु हिरण आदि (च) और (उभयोदतः व्यालाः) दोनों ओर दांत वाले हिंसक वृत्तिवाले पशु सिहं, व्याघ्र आदि (च) तथा (रक्षांसि) राक्षस (पिशाचाः) पिशाच (च) तथा (मनुष्य) (जरायुजाः) ये सब ‘जरायुज’ अर्थात् झिल्ली से पैदा होने वाले हैं ।
 
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