Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
. श्रेयसा गुरूजन आदि बड़ों द्वारा अध्याचरिते प्रयोग में लायी जाने वाली शय्या - आसने शय्या पलंग आदि आसन पर न समाविशेत् न बैठे च और शय्यासनस्थः यदि अपनी शय्या और आसन पर लेटा या बैठा हो तो एनम् इन गुरूजन आदि बड़ों को प्रत्युत्थाय अभिवादयेत् उनके आने पर उठकर नमस्कार करे ।