Manu Smriti
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पूजितं ह्यशनं नित्यं बलं ऊर्जं च यच्छति ।अपूजितं तु तद्भुक्तं उभयं नाशयेदिदम् ।2/55

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
अन्न की पूजा करने से तेज और इन्द्रिय शक्ति दोनों की वृद्धि होती है। और पूजा न करने से इन्हीं दोनों का नाश हो जाता है।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
. हि क्यों कि पूजितं अशनम् आदरपूर्वक किया हुआ भोजन नित्यं बलं च ऊर्जं यच्छति सदैव बल और स्फूर्ति देने वाला होता है तु तत् + अपूजितम् और वह अनादर पूर्वक भुक्तम् खाया हुआ इदम् उभयं नाश - येत् इन दोनों बल और स्फूर्ति को नष्ट करता है ।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
क्योंकि सराहा हुआ भोजन सदा बल और पराक्रम को देता है। और विपरीत न सराहा हुआ अन्न खाने पर इन दोनों को नष्ट कर देता है।
 
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