Manu Smriti
 HOME >> SHLOK >> COMMENTARY
मुञ्जालाभे तु कर्तव्याः कुशाश्मन्तकबल्वजैः ।त्रिवृता ग्रन्थिनैकेन त्रिभिः पञ्चभिरेव वा ।2/43

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
यदि मूंज और मूर्वा और सन न मिले तो कुश, भेड़ और बल्कज की तीन लड़ की मेखला करना चाहिये और एक वा तीन वा पांच गांठ की करना चाहिये। कुल की रीत्यानुसार कई। यह नहीं कि ब्राह्मण एक, क्षत्रिय तीन और वैश्य पांच गांठ की रक्खे।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
. मुज्जालाभे तु यदि उपर्युक्त मूंज आदि न मिलें तो क्रमशः कुश-अश्मन्तक - बल्वजैः कुश, अश्मन्तक और बल्वज नामक घासों से तिवृता उसी प्रकार तिगुनी - तीन बटों वाली करके एकेन ग्रन्थिना फिर एक गांठ लगाकर वा अथवा त्रिभिः पंच्चभिः एव तीन या पांच गांठ लगाकर कत्र्तव्याः मेखलाएं बनानी चाहिए ।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
यदि मंजु आदि न मिले तो उपर्युक्त ब्रह्मचारियों की मेखलायें क्रमशः कुश, वल्कल और ऊन की बनायी जावें, जो तीन-तीन लड़ियों वाली और एक तीन व पांच गांठों वाली हों।
 
NAME  * :
Comments  * :
POST YOUR COMMENTS