Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
जो राजा उदासीन, साधु, बहुज्ञात, शौर्यशाली कृपाल तथा प्रत्येक समय अति दाता होवे उसकी शरण में शत्रु से युद्ध करें।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
. उदासीन का लक्षण - जिसमें प्रशंसतिगुणयुक्त अच्छे - बुरे मनुष्यों का ज्ञान शूरवीरता और करूणा भी स्थूल लक्ष्य अर्थात् ऊपर - ऊपर की बातों को निरन्तर सुनाया करे वह उदासीन कहाता है ।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
इसी प्रकार, आर्यत्व, अच्छे-बुरे मनुष्यों की पहिचान, शूरवीरता, करुणा-प्रदर्शन और निरन्तर मोटी-मोटी बातों पर भी द्ष्टि रखना, इन गुणों वाला उदासीन मनुष्य भी कष्टदायक होता है। अतः, ऐसे मनुष्य से भी शीघ्र मित्रता करे और उसे उदासीन न रहने दे।