Manu Smriti
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तान्सर्वानभिसंदध्यात्सामादिभिरुपक्रमैः ।व्यस्तैश्चैव समस्तैश्च पौरुषेण नयेन च ।।7/159

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
इन सब राजाओं को साम आदि चारों उपायों में से जैसा अवसर हो एक-एक या चारों के द्वारा तथा अपनी सेना व पौरुष द्वारा अपनी अधीनता में करना चाहिये।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
उन सब प्रकार के राजाओं को ‘साम’ आदि (साम, दाम, दण्ड, भेद) उपायों से एक- एक उपाय से और सब उपायों का प्रयोग करके वीरता से तथा नीति से वश में रखे ।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
इन सब को साम आदि उपायो से वश में रक्खे । या तो सब से अलग अलग या सब को मिलाकार । वीरता से और नीति चातुर्य से ।
 
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