Manu Smriti
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तस्माद्धर्मं यं इष्टेषु स व्यवस्येन्नराधिपः ।अनिष्टं चाप्यनिष्टेषु तं धर्मं न विचालयेत् ।।7/13

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
इसलिए वह राजा जिस धर्म अर्थात् कानून का पालनीय विषयों में निर्धारण करे और अपालनीय विषयों में जिसका निषेध करे उस धर्म अर्थात् कानून का उल्लंघन न करे ।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
(तस्मात्) इसलिये (स नराधिपः) वह राजा (यं धर्मम्) जिस कानून का (इष्टेषु व्यवस्येत्) जिन इष्ट विषयों में निर्धारण करें, (अनिष्टेषु अनिष्टम् अपि च) और जिसका अनिष्ट विषयों में निषेध करें, (तं धर्मं न विचालयेत्) उस धर्म का उल्लंघन न करे ।
 
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