Manu Smriti
 HOME >> SHLOK >> COMMENTARY
सम्यग्दर्शनसंपन्नः कर्मभिर्न निबध्यते ।दर्शनेन विहीनस्तु संसारं प्रतिपद्यते ।।6/74

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
जो संन्यासी यथार्थज्ञान वा षड्दर्शनों से युक्त हैं वह दुष्टकर्मों से बद्ध नहीं होता और जो ज्ञान, विद्या, योगाभ्यास सत्संग, धर्मानुष्ठान वा षड्दर्शनों से रहित विज्ञान हीन होकर सन्यास लेता है वह संन्यास पदवी और मोक्ष को प्राप्त न हो कर जन्म - मरण रूप संसार को प्राप्त होता है । (सं० वि० संन्यासाश्रम सं०)
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
जो संन्यासी यथार्थ ज्ञान व षट्दर्शनों से युक्त है, वह दुष्ट कर्मों से वद्ध नहीं होता। परन्तु जो ज्ञान-विद्या, योगाभ्यास, सत्संग लेता है, वह संन्यास-पदवी और मोक्ष को न प्राप्त होकर जन्म-मरण-रूप संसार को प्राप्त होता है। और, ऐसे मूर्ख अधर्मी को संन्यास का लेना व्यर्थ और धिक्कार के योग्य है।
 
NAME  * :
Comments  * :
POST YOUR COMMENTS