Manu Smriti
 HOME >> SHLOK >> COMMENTARY
क्ल्प्तकेशनखश्मश्रुः पात्री दण्डी कुसुम्भवान् ।विचरेन्नियतो नित्यं सर्वभूतान्यपीडयन् ।।6/52

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
बाल (केश), नख, मोछ, को छोटा रखें, दण्ड, कमण्डलु तथा पात्र को पास रखें, किसी जीव को कष्ट व पीड़ा न देवें, सदैव अचिन्त्य (चिन्ता रहित) होकर विचरें।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
. केश, नख, दाढ़ी, मूंछ को छेदन करवावे पात्र, दण्ड और कुसुम्भ आदि से रंगे हुए वस्त्रों को ग्रहण करके निश्चितात्मा सब भूतों को पीड़ा न देकर सर्वत्र विचारे । (स० प्र० पंच्चम समु०)
टिप्पणी :
‘‘सब शिर के बाल, दाढ़ी, मूंछ, और नखों को समय - समय पर छेदन कराता रहे । पात्री, दण्डी और कुसुंभ के रंगे हुए - वस्त्रों को धारण किया करे । सब भूत - प्राणि मात्र को पीड़ा न देता हुआ दृढ़ात्मा होकर नित्य विचार करे ।’’ (सं० वि० संन्यासाश्रम सं०)
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
संन्यासी सिर के सब बाल, दाढ़ी-मूंछ और नखों को छेदन करवाता रहे; पात्र, दण्ड और कुसुम्भ से रंगे वस्त्र धारण किया करे; तथा प्राणिमात्र को पीड़ा न देता हुआ द्ढ़ात्मा होकर नित्य विचरा करे।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
(क्लृपतकेशनखश्मश्रुः) केश, नाखून, दाढी़, मोछ मुंड़कर (पात्री) भिक्षापात्र लेकर (दण्डी) लाठी लेकर (कुसुम्भ+वान्) कमण्डल लेकर (सव भूतानि अपीडयन्) किसी प्राणी की कष्ट न देता हुआ (नित्यं नियतः विचरेत्) सदा नियमानुकूल विचार करे।
 
NAME  * :
Comments  * :
POST YOUR COMMENTS