लव कुश के जन्म की यथार्थ कहानी….
लेखक – स्वामी विद्यानंद जी सरस्वती
राम द्वारा अयोध्या यज्ञ में महर्षि वाल्मीकि आये उन्होंने अपने दो हष्ट पुष्ट शिष्यों से कहा – तुम दोनों भाई सब ओर घूम फिर कर बड़े आनंदपूर्वक सम्पूर्ण रामायण का गान करो। यदि श्री रघुनाथ पूछें – बच्चो ! तुम दोनों किसके पुत्र हो तो महाराज से कह देना कि हम दोनों भाई महर्षि वाल्मीकि के शिष्य हैं । ९३ /५
उन दोनों को देख सुन कर लोग परस्पर कहने लगे – इन दोनों कुमारों की आकृति बिल्कुल रामचंद्र जी से मिलती है ये बिम्ब से प्रगट हुए प्रतिबिम्ब के सामान प्रतीत होते हैं । ९४/१४
यदि इनके सर पर जटाएं न होतीं और ये वल्कल वस्त्र न पहने होते तो हमें रामचन्द्र जी में और गायन करने वाले इन कुमारों में कोई अंतर दिखाई नहीं देता। ९४/१४
बीस सर्गों तक गायन सुनाने के बाद श्री राम ने अपने छोटे भाई भरत से दोनों भाइयों को १८ -१८ हजार मुद्राएं पुरस्कार रूप में देने को कह दिया। यह भी कह दिया कि और जो कुछ वे चाहें वह भी दे देना । पर दिए जाने पर भी दोनों भाइयों ने लेना स्वीकार नहीं किया । वे बोले – इस धन की क्या आवश्यकता है ? हम वनवासी हैं । जंगली फूल से निर्वाह करते हैं सोना चांदी लेकर क्या करेंगे । उनके ऐसा कहने पर श्रोताओं के मन में बड़ा कुतूहल हुआ । रामचंद्र जी सहित सभी श्रोता आश्चर्य चकित रह गए । रचयिता का नाम पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि हमारे गुरु वाल्मीकि जी ने सब रचना की है । उन्होंने आपके चरित्र को महाकाव्य रूप दिया है इसमें आपके जीवन की सब बातें आ गयी हैं ९४/१८ – २८
उस कथा से रामचंद्र जी को मालूम हुआ कि कुश और लव दोनों सीता के पुत्र हैं । कालिदास के दुष्यंत के मन में शकुंतला के पुत्र नन्हे भरत को देखते ही जिन भावों का उद्रेक हुआ था , क्या राम के मन में लव और कुश को देख – सुनकर कुछ वैसी ही प्रतिक्रिया नहीं होनी चाहिए थी ? आदि कवि ऐसे मार्मिक प्रसंग को अछूता कैसे छोड़ देते । निश्चय ही यह समूचा प्रसंग सर्वथा कल्पित एवं प्रक्षिप्त है । यह जानकारी सभा के बीच बैठे हुए रामचन्द्र जी ने तो शुद्ध आचार विचार वाले दूतों को बुलाकर इतना ही कहा – तुम लोग भगवन वाल्मीकि के पास जाकर कहो कि यदि सीता का चरित्र शुध्द है और उनमें कोई पाप नहीं है तो वह महामुनि से अनुमति ले यहाँ जन समुदाय के सामने अपनी पवित्रता प्रमाणित करें।
इस प्रकरण के अनुसार रामचन्द्र जी को यज्ञ में आये कुमारों के रामायण पाठ से ही लव कुश के उनके अपने पुत्र होने का पता चला था । परन्तु इसी उत्तर काण्ड के सर्ग ६५-६६ के अनुसार शत्रुघ्न को लव कुश के जन्म लेने का बहुत पहले पता था | सीता के प्रसव काल में शत्रुघ्न वाल्मीकि के आश्रय में उपस्थित थे । जिस रात को शत्रुघ्न ने महर्षि की पर्णशाला में प्रवेश किया था। उसी रात सीता ने दो पुत्रों को जन्म दिया था । आधी रात के समय कुछ मुनि कुमारों ने वाल्मीकि जी के पास आकर बताया – “भगवन ! रामचन्द्र जी की पत्नी ने दो पुत्रों को जन्म दिया है । ” उन कुमारों की बात सुनकर महर्षि उस स्थान पर गए। सीता जी के वे दोनों पुत्र बाल चन्द्रमा के सामान सुन्दर तथा देवकुमारों के सामान तेजस्वी थे।
आधी रात को शत्रुघ्न को सीता के दो पुत्रों के होने का संवाद मिला। तब वे सीता की पर्णशाला में गए और बोले – माता जी यह बड़े सौभाग्य की बात है ” महात्मा शत्रुघ्न उस समय इतने प्रसन्न थे कि उनकी वह वर्षाकालीन सावन की रात बात की बात में बीत गई । सवेरा होने पर महापराक्रमी शत्रुघ्न हाथ जोड़ मुनि की आज्ञा लेकर पश्चिम दिशा की और चल दिए | 66/12-14
यह कैसे हो सकता है कि शत्रुघ्न ने वर्षों तक रामचंद्र जी को ही नहीं । सारे परिवार को सीता के पुत्रों के होने का शुभ समाचार न दिया हो । महर्षि वाल्मीकि का आश्रय भी अयोद्ध्या से कौन दूर था – उनका अयोध्या में आना जाना भी लगा रहता था । इसलिए यज्ञ के अवसर पर लव कुश के सार्वजानिक रूप से रामायण के गाये जाने के समय तक राम को अपने पुत्रों के पैदा होने का पता न चला हो, यह कैसे हो सकता है ? इससे उत्तरकाण्ड के प्रक्षिप्त होने के साथ साथ यह भी स्पष्ट हो जाता है कि वह किसी एक व्यक्ति की रचना भी नहीं है अन्यथा उसमें पूर्वापर विरोध न होता ।
प्रक्षिप्त उत्तरकाण्ड के अंतर्गत होने से लव कुश का राम की संतान होना भी संदिग्ध है । नारद द्वारा प्रस्तुत कथावस्तु के अनुसार ही वाल्मीकि कृत रामायण में उसका कोई उल्लेख नहीं है ।
“हो सकता है आदि कवि ने राम और सीता के दुखी जीवन की इस घटना को जान भूज कर रामायण से अलग रखा हो क्योंकि इस घटनाक्रम में वे स्वयं भी शामिल थे. आदि कवि को अपना महिमा मंडप करना अच्छा न लगा हो और उन्होंने लव कुश कांड को रामायण से अलग रखा हो. लव कुश के बारे में लव कुश को ही पढ़ाना क्या शोभा देता ? यदि लव कुश राम की संतान नहीं थे तो सीता की दोबारा अग्नि परीक्षा का क्या मतलब था ? वाल्मीकि जी अकेले ही तो नहीं थे धरती पर, कुछ और लोग भी तो होंगे उस समय धरती पर जो राम और सीता के जीवन के बारे में जानकारी रखते होंगे. इसलिए लव कुश कांड को प्रक्षिप्त मान लेना तर्क संगत नहीं है. अपने आप को श्रेष्ठ सिद्ध करने के लिए अन्य लोगों को तुच्छ समज लेना भी ठीक नहीं होता.”
सही
bilkul sahi tark hai sir
क्या राम , लव,कुश और वाल्मीक समकालीन थे ?
raam ke putra lav kush the aur usi samay ke valmiki ji bhi the…
Swami Vidhyan Nanad Sarswati ji nisundhey Maharishi Valmiki Ramayan mai bahutse prichhipt uns jodey gay han lugta hai jeasa Satrughun ka Valmiki Asram mai hona jub bachon ka janam huaa or ye soochna dena ki ramchander ji ke do putron ka janum huaa & few other things at other place too bcz there are other references too that Valmiki Asram mai Sita ko sita ke naam se nahi jana jata tha but she as know as by name of Kaliyani & Van devi and by impartial analysis of Valmiki Ramayan & few other ancient resources it is evident or true that Luv -Kus were sons of Ram chander bcz it is on record of Valmiki ramayan that after coming from Lunka at ayodhiya , Ramchande & Sita leaved together most of hours in private life or enjoyed wife -husband sexual life then after it sita feel sign of pregnancy or movements of child and she informed it to Ramchander , who became very happy & asked her to fulfill her desire then sita requested Visit Rishi asrams & stay at least one night in a rishi asram then mean time few Ramchanders friends come & Ramchander went to sit & discussion , during that discussion it come out that citizens are suspecting the pureness of sita & do not taking as good that Ramchander ne rawan ke ghur me rahi sita ko kabool kar liya and then Ramchander decided to diverse & sent to exile without giving an opportunity to Sita to know her crime & without asking explanation against such allegation but showing that he is fulfilling her desire about visiting Van & Rishi aasrams and accordingly Laxman left Sita Ganga Paar or after ayodhiya territory may be near by Kanpur where one of Valmiki Rishi Aasam near by forest , she leaved there for about sixteen years ,no any effort made by Ramchander to now the fate of Sita , which was pregnant when she was left in jungle and it evident by other ancient sources of Ramayan that Luv- kus hated Ramchander for divorcing Sita & lefting her in forest during pregnant period and they did not know that they are son of Sita & Ramchander and they meet 2nd time when they caught Horse of Ramchander Yug after defeating Satrugahun , Sugrive , Hanuman & Bharat & then RamChander came to fight with them .Hence no doubt that there are Prichhipt anuses but Luv _kus were son of Ramchander other you may say whole Valmiki Ramayan is Kalpanic , Which true you may decide yourself .
वाल्मीकि रामायण काल्पनिक नहीं है जी मगर उसमे बहुत सी बात मिलावट कर दी गयी है | उसे स्वीकार करें जी |
Brahmno ne ki milawat ya kisi dusre vrna k logo ne
Pakad me aaye to milawat nhi to aacharan k yogy
pure samaj kaa yogdaan thaa milawat me bhai…..
Hamlog kitna doubt krte h apne religion me related , yahi reason h Ki Hindu region only India me h , other religion ko dekho koi doubt nhi krta tabhi to unki 20- 22 country h ….
Hm apas me hi uljhe rahte h other religion apne ko vistar krne me laga rahta h …
Kya Pta kya hoga age and wale time me kanhi Kashmir Ki tarh pure India me Hindu Ki rape and murdered to nhi hoga ? Jaise Kashmir me 17 year back 500000 Hindu population this ajj 5-10 hi hai ,, kya pure India me ESA hoga ??
Hame positive thinking krani hogi – unity hona hoga nhi to. .. …… Hamare akho k same hme religion change krwane se lekar daughter, sister, mother and othe relative ladies ki rape tk dekhna hoga ( ye San Kashmir me ho chuka h ) , hm cow Ki tarh sif tarapege , rowege, chilayege , bs kuch nhi kr payege…— in sabi k bare me kya ray h apsabi Ki ??
भाई साहब हिन्दु कमजोर इसलिए नही है कि हम अपने ग्रंथो पर विस्वास नही करते बल्कि इसलिए है कि हम किसी भी चीज पर हद से ज्यादा और जल्दी विस्वास करते है और कोई विदेशी अंग्रेजी पढ़ा लिखा कुछ बोले तो भईया उसे तो हम परमेश्वर की वाणी समझते है। 1000 सालो की गुलामी ने हमारे शरीर को तो छोड़ दिया लेकिन हमारे मन और मस्तिष्क पर आज भी उसकी छाप साफ दिखती है।
Love is english word so how valmikee je give name
क्या लव शब्द हिंदी में नहीं
क्या दिया हुआ शब्द love hair?
भाई साहब आप बताइए क्या अंग्रेजी आज से नौ लाख साल पहले भी मौजूद थी?
very very good
क्या लव कुश को पता था कि राम हमारे पिता हैँ
रामायण और उसकी भ्रान्तिया इस पुस्तक को पढ़ें आपके सारे सवाल का जवाब मिल जायेगी |
धर्मपाल जी एक प्रश्न है आपसे कि उत्तर कांड रामायण में कब जुड़ा जबकि बाल्मीकि रामायण में तो उत्तर कांड था ही नहीं और जिसने जोड़ा क्या वह श्रीराम के समकालीन था
और जिसने उत्तर कांड रामायण में जोड़ा उसको आप सत्य कैसे मान सकते हैं
Mano to bhagwaan hain na mano to pathar.. diye gaye tark apki mansikta ko darshatey hain. swami naam me laganey sey Pehle sabke swami par vishwas karna sikho. sirf kush comments paney ke liye apney prabhi par sandeh karna kya sahi hai??