क्या कुरान के अल्लाह को किसी की मदद लेनी पड़ती है ?
क्या कुरान के अल्लाह को किसी को मदत लेना पड़ता है।मित्र ईश्वर सर्वशक्तिमान है, इस लिए ईश्वर को कोई प्रकार सहायता कि प्रोयोजन नेही होता, ईश्वर अपने समर्थ से अपनी सभी कार्य खुद ही कर लेता है। जैसा सृष्टी, प्रलय, और जीवात्मा के कर्म फल प्रदान करने मे ईश्वर को किसी के सहायता कि कोई प्रयोजन नही होता है।परन्तु कुरान के अल्लाह किसी के सहायता बिना खुद अपनी कार्य करने में सक्षम नही है। इस लिए कुरान के अल्लाह को सर्वदा फरिश्तो के सहायता लेना पड़ा। अल्लाह के लिए सबी फ़रिश्ते किस प्रकार मदतगार थे, इसका प्रमाण कुरान में अनेक जागा में मिलते है। उसमे से एक प्रमाण आप लोगो के सामने पेश कर रहा हूँ। और जरुरत पड़ने से आगे और दे दूंगा।
मित्र मुसलमान मित्र जन का कहना है अल्लाह सब का मदतगार है, पर खुद अल्लाह किसी का मदत नही लेता है। मुसलमान के ऐसी बात के लिए आप लोग जब किसी मुसलमान मित्र से पूछ लेंगे, जब अल्लाह किसी के कोई मदत नही लेता तो कुरान को कैसे उतारा गया था, ओ ही कुरान जिसे आप लोग कलामुल्लाह मानते है। सच कहता हूँ मित्र आप लोगो के पूछ ने से ही मुसलमान मित्र जनो का बोलती बंद हो जायगा जी। अब देखते है कुरान आया तो आया कैसे।
अल्लाह ने जिब्राइल को कुरान सुनाया और जिब्राइल गारे-हिरा नाम का एक गुफा में आकर पहले हजरत मोहम्मद का सीना चाक किया, यानि मोहम्मद साहब का दिल को निकाला, फेर उसे आवे जमजम से धोया और बाद में उसे मोहम्मद साहब के शरीर में रख कर सिल दिया।जिब्राइल पहले कुरान के पांच आयते लेके आया था, जिसका प्रमाण मैंने फोटो में दे राखा है। जिसका अर्थ है।
1. पड़ो अपने रब के नाम के साथ जिसने पैदा किया।
2. जमे हुए खून के एक लोथरे से इंसान कि रचना की।
3. पड़ो, और तुम्हारा रब बड़ा उदार है।
4.जिसने कलम के द्वारा ज्ञान कि शिख्सा दी।
5.इन्सान को वह ज्ञान दिया जिसे वह ना जानता था।
———————————–
अब जिब्राइल के इस कारनामा से कुछ सवाल सामने आ गाया है।
1.जब जिब्राइल को मुहम्मद साहब को पड़ाने के लिए ये सब करना पड़ा था, क्या किसी को पड़ाने के लिए उसका सीना चीर के दिल को निकाल के, जमजम के पानी में धोके, फीर उसे शारीर में राख के सिल देने से ही उसे पड़ाना कहता है ?
2.जब अल्लाह ने जिब्राइल को बिना किसी चीर फार के पड़ा सकते है तो मुहम्मद साहब को पड़ाने में अल्लाह को क्या परेशानी हुआ था ?
3.जब मुहम्मद साहब को जिब्राइल ने चीर फाड करके पड़ा दिया, तो कुरान किसका कालाम हुआ, जिब्राइल का या अल्लाह का ?
4.किसी के दिल निकाल के फेर उसकी शरीर में दिल लागाने समय ओ आदमी बेहोश हो जाता है, जिब्राइल उस समय पड़ाया था या बाद में पड़ाया था ?
5.क्या एक गुफा के अन्दर इस तरह से सुपर सर्जरी किया जा सकता है।
6.जिब्राइल ने मुहम्मद साहब को पड़ाने के लिए जो सुपर सर्जरी किया था, उस सर्जरी में कौन कौन सा यंत्र का इस्तेमाल किया गया था?
7.जिब्राइल को ऐसी सुपर सर्जरी करना कौन सिखाया था, क्या अल्लाह ने जिब्राइल को सिखाया था ?
8.अल्लाह जिब्राइल जैसे और कुछ फ़रिश्ते को धरती पे भेज देता तो आज कम से कम मुसलमानो को किसी भी सर्जरी में लाखो रूपया गावाना नेही पड़ते। मित्र जनो मैं तो सिर्फ इस्लाम के थोड़ा सा सच्चाई आप के सामने रख रहा हूँ, इस्लाम में ऐसी अनेक सच्चाई भरी पड़ा है।
हायरे बुद्धि से विचार करने वाले मानव और कब तक तुम लोग ऐसी मुर्ख बनके रहोगे ?
मित्र मुसलमान मित्र जन का कहना है अल्लाह सब का मदतगार है, पर खुद अल्लाह किसी का मदत नही लेता है। मुसलमान के ऐसी बात के लिए आप लोग जब किसी मुसलमान मित्र से पूछ लेंगे, जब अल्लाह किसी के कोई मदत नही लेता तो कुरान को कैसे उतारा गया था, ओ ही कुरान जिसे आप लोग कलामुल्लाह मानते है। सच कहता हूँ मित्र आप लोगो के पूछ ने से ही मुसलमान मित्र जनो का बोलती बंद हो जायगा जी। अब देखते है कुरान आया तो आया कैसे।
अल्लाह ने जिब्राइल को कुरान सुनाया और जिब्राइल गारे-हिरा नाम का एक गुफा में आकर पहले हजरत मोहम्मद का सीना चाक किया, यानि मोहम्मद साहब का दिल को निकाला, फेर उसे आवे जमजम से धोया और बाद में उसे मोहम्मद साहब के शरीर में रख कर सिल दिया।जिब्राइल पहले कुरान के पांच आयते लेके आया था, जिसका प्रमाण मैंने फोटो में दे राखा है। जिसका अर्थ है।
1. पड़ो अपने रब के नाम के साथ जिसने पैदा किया।
2. जमे हुए खून के एक लोथरे से इंसान कि रचना की।
3. पड़ो, और तुम्हारा रब बड़ा उदार है।
4.जिसने कलम के द्वारा ज्ञान कि शिख्सा दी।
5.इन्सान को वह ज्ञान दिया जिसे वह ना जानता था।
———————————–
अब जिब्राइल के इस कारनामा से कुछ सवाल सामने आ गाया है।
1.जब जिब्राइल को मुहम्मद साहब को पड़ाने के लिए ये सब करना पड़ा था, क्या किसी को पड़ाने के लिए उसका सीना चीर के दिल को निकाल के, जमजम के पानी में धोके, फीर उसे शारीर में राख के सिल देने से ही उसे पड़ाना कहता है ?
2.जब अल्लाह ने जिब्राइल को बिना किसी चीर फार के पड़ा सकते है तो मुहम्मद साहब को पड़ाने में अल्लाह को क्या परेशानी हुआ था ?
3.जब मुहम्मद साहब को जिब्राइल ने चीर फाड करके पड़ा दिया, तो कुरान किसका कालाम हुआ, जिब्राइल का या अल्लाह का ?
4.किसी के दिल निकाल के फेर उसकी शरीर में दिल लागाने समय ओ आदमी बेहोश हो जाता है, जिब्राइल उस समय पड़ाया था या बाद में पड़ाया था ?
5.क्या एक गुफा के अन्दर इस तरह से सुपर सर्जरी किया जा सकता है।
6.जिब्राइल ने मुहम्मद साहब को पड़ाने के लिए जो सुपर सर्जरी किया था, उस सर्जरी में कौन कौन सा यंत्र का इस्तेमाल किया गया था?
7.जिब्राइल को ऐसी सुपर सर्जरी करना कौन सिखाया था, क्या अल्लाह ने जिब्राइल को सिखाया था ?
8.अल्लाह जिब्राइल जैसे और कुछ फ़रिश्ते को धरती पे भेज देता तो आज कम से कम मुसलमानो को किसी भी सर्जरी में लाखो रूपया गावाना नेही पड़ते। मित्र जनो मैं तो सिर्फ इस्लाम के थोड़ा सा सच्चाई आप के सामने रख रहा हूँ, इस्लाम में ऐसी अनेक सच्चाई भरी पड़ा है।
हायरे बुद्धि से विचार करने वाले मानव और कब तक तुम लोग ऐसी मुर्ख बनके रहोगे ?