क्या खुदा ऊंटनी की सवारी करता है ?
-और जब आवेगा मालिक तेरा और फ़रिश्ते पंक्ति बांध के।। और लाया जावेगा उस दिन दोज़ख को।। मं0 7। सि0 30। सू0 89। आ0 21। 231
समी0 -कहो जी! जैसे कोटवालवा सेनाध्यक्ष अपनी सेना को लेकर पंक्ति बांध फिरा करे वैसा ही इनका खुदा है ? क्या दोजख को घड़ा सा समझा है कि जिसको उठाके जहा चाहे वहा ले जावे। यदि इतना छोटा है तो असंख्य कैदी उसमें कैसे समा सकेंगे ?
-बस कहा था वास्ते उनके पैग़म्बर खुदा के ने, रक्षा करो ऊंटनी खुदा की को, और पानी पिलाना उसके को।। बस झुठलाया उसको, बस पांव काटे उसके, बस मरी डाली ऊपर उनके रब उनके ने।। मं7। सि0 30। सू0 91। आ0 13।14
समी0 -क्या खुदा भी ऊंटनी पर चढ़ के सैल किया करता है ? नहीं तो किसलिये रक्खी और विना क़यामत के अपना नियम तोड़ उन पर मरी रोग क्यों डाला ? यदि डाला तो उनको दण्ड किया, फिर क़यामत की रात में न्याय और उस रात का होना झूठ समझा जायगा ? इस ऊंटनी के लेख से यह अनुमान होता है कि अरब देश में ऊंट ऊंटनी के सिवाय दूसरी सवारी कम होती हैं। इससे सिद्ध होता है कि किसी अरब देशी ने कुरान बनाया है |
-यों जो न रुकेगा अवश्य घसीटंगे हम साथ वालों माथे के।। वह माथा,कि झूठा है और अपराधी।। हम बुलावेंगे फ़रिश्ते दोज़ख के को।। मं0 7। सि0 30।सू0 96। आ0 15। 16। 18
समी0 -इस नीच चपरासियों के काम घसीटने से भी खुदा न बचा। भला माथा भी कभी झूठा और अपराधी हो सकता है सिवाय जीव के ? भला यह कभी खुदा हो सकता है कि जैसे जेलखाने के दरोगा को बुलावा भेजे ?
Sir Writing sahi nahi hai artical ki
ek bar portal ko refresh karen theek ho jayega