क्या अल्लाह ने भोले लोगों को बहकाने के लिए शैतान को भेजा …..
-अल्लाह ने माफ किया जो हो चुका, और जो कोई फिर करेगा अल्लाह उससे बदला लेगा।। मं0 2। सि0 7। सू0 5। आ0 95
समी0-किये हएु पापों का क्षमा करना जानों पापों के करने की आज्ञा देके बढ़ाना है | पाप क्षमा करने की बात जिस पुस्तक में हो वह न ईश्वर और न किसी विद्वान् का बनाया है, किन्तु पापवर्द्धक है। हां, आगामी पाप छुड़ाने के लिये किसी से प्रार्थना और स्वयं छोड़ने के लिये पुरुषार्थ, पश्चाताप करना उचित है,परन्तु केवल पश्चातापकरता रहे, छोड़े नहीं, तो भी कुछ नहीं हो सकता |
-क्या नहीं देखा तूने यह कि भेजा हमने शैतानों को ऊपर काफि़रों के बहकाते हैं उनको बहकाने कर।। मं0 4। सि0 16। सू0 19। आ0 83
समी0 -जब खुदा ही शैतानों को बहकाने के लिये भेजता है तो बहकने वालों का कुछ दोष नहीं हो सकता और न उनको दण्ड हो सकता और न शैतानों को। क्योंकि, यह खुदा के हुक्म से सब होता है, इसका फल खुदा को होना चाहिये | जो सच्चा न्यायकारी है तो उसका फल दोज़ख आप ही भोगे और जो न्याय को छोड़के अन्याय को करे तो अन्यायकारी हुआ | अन्यायकारी ही पापी कहाता है |
-और निश्चय क्षमा करने वाला हू वास्ते उस मनुष्य के तोबाः की और ईमान लाया, कर्म किये अच्छे, फिर मार्ग पाया | मं04। सि016। सू020। आ0 82
समी0 -जो तोबाः से पाप क्षमा करने की बात कुरान में है, यह सबको पापी कराने वाली है | क्योंकि, पापियों को इससे पाप करने का साहस बहुत बढ़ जाता है | इससे यह पुस्तक और इसका बनाने वाला पापियों को पाप कराने में होंसला बढ़ानेवाले हैं | इससे यह पुस्तक परमेश्वरकृत और इसमें कहा हुआ परमेश्वर भी नहीं हो सकता |
-और किये हमने बीच पृथिवी के पहाड़ ऐसा न हो कि हिल जावे।।मं0 4। सि0 17। सू0 21। आ0 31
समी0 -यदि कुरान का बनाने वाला पृथिवी का घूमना आदि जानता तो यह बात कभी नहीं कहता कि पहाड़ों के धरने से पृथिवी नहीं हिलती | शंका हुई कि जो पहाड़ नहीं धरता तो हिल जाती | इतने कहने पर भी भूकम्प में क्यों डिग जाती है ?