कुरानी जन्नत, दोजक और विज्ञान
-जब कि हिलाई जावेगीपृथिवी हिलाये जाने कर।। और उड़ाए जावेंगेपहाड़ उड़ाये जाने कर।। बस हो जावंगेभुनुगेटकुड़े-2 ।। बस साहब दाहनी ओर वालेक्या हैं साहब दाहनी ओर के।। और र्बाइं ओर वाले क्या हैं र्बांइ ओर के।। ऊपर पलंघसोने के तारों से बुने हएु हैं तकिये किए हुए हैं ऊपर उनके आमने सामने ।और फिरेंगे ऊपर उनके लड़के सदा रहने वाले । साथ आबखारेां के और आफ़ताबोंके और प्यालां के शराब साफ़ से । नहीं माथा दुखाये जावेंगे उससे और न विरुद्ध बोलंगे। और मेवे उस कि़स्म से कि पसन्दकरें । और गोश्त जानवर पक्षियों केउस कि़स्म से कि पसन्द करें । और वास्ते उनके औरतें हैं अच्छी आँखों वाली।।मानिन्द मोतियों छिपाये हुओं की।। और बिछानै बड़े।। निश्चय हमने उत्पन्न किया है औरतों को एक प्रकार का उत्पन्न करना है।। बस किया है हमने उनको कुमारी।।सुहागवालियां बराबर अवस्था बालियां।। बस भरने वाले हो उससे पेटों को।। बसकस़म खाता हॅूं में साथ गिरने तारों के । म07। सि0 27। सू0 56। आ0 4- 6। 8। 9।15-23। 34-37। 53।751
समी0 -अब देखिये कुरान बनाने वाले की लीला को! भला पृथिवी तो हिलती ही रहती है उस समय भी हिलती रहेगी। इससे यह सिद्ध होता है कि कुरानबनाने वाला पृथिवी को स्थिर जानता था। भला पहाड़ों को क्या पक्षीवत् उड़ा देगा? यदि भुनुगे हो जावेंगे तो भी सूक्ष्म शरीरधारी रहेंगे तो फिर उनका दूसरा जन्म क्यों नहीं? वाहजी! जो खुदा शरीरधारी न होता तो उसके दाहिनी ओर और बांई ओर कैसे खड़े हो सकते? जब वहाँ पलंग सोने के तारों से बुने हुए हैं तो बढ़ई सुनार भी वहाँ रहते होंगे और खटमल काटते होंगे, जो उनको रात्रि में सोने भी नहीं देते होंगे। क्या वे तकिये लगाकर निकम्मे बहिश्त में बैठे ही रहते हैं? वा कुछ काम किया करते हैं ? यदि बैठे ही रहते होंगे तो उनको अन्न पचन न होने से वे रोगी होकर शीघ्र मर भी जाते होंगे ? और जो काम किया करते होंगे तो जैसे मेहनत मज़दूरी यहाँ करते हैं वैसे ही वहाँ परिश्रम करके निर्वाह करते होंगे फिर यहाँ से वहाँ बहिश्त में विशेष क्या है? कुछ भी नहीं। यदि वहाँ लड़के सदा रहते हैं तो उनके मां-बाप भी रहते होंगे और सासू श्वसुर भी रहते होंगे,तब तो बड़ा भारी शहर बसता होगा फिर मल-मूत्रादि के बढ़ने से रोग भी बहुत से होते होंगे। क्योंकि,जबमेवे खावेंगे गिलासों में पानी पीवेंगे और प्यालों से मद्य पीवेंगे,न उनका सिर दूखेगाऔर न कोई विरुद्ध बोलेगा,यथेष्ट मेवा खावेंगे और जानवरों तथा पक्षियों के मांस भी खावेंगे तो अनेक प्रकार के दुःख, पक्षी, जानवर वहाँ होंगे, हत्या होगी और हाड़ जहाँ तहाँबिखरे रहेंगे और कसाइयों की दुकानें भी होंगी। वाह क्या कहना इनके बहिश्त की प्रशंसा कि वह अरब देश से भी बढ़कर दीखती है!!! और जो मद्य-मांस पी-खा के उन्मत्त होते हैं,इसीलिये अच्छी2 स्त्रियां और लौंडे भी वहाँ अवश्य रहने चाहिये नहीं तो ऐसे नशेबाजों के शिर में गरमी चढ़ के प्रमादी हो जावें। अवश्य बहुत स्त्री पुरुषों के बैठने सोने के लिये बिछौने बड़े2 चाहिये। जब खुदा कुमारियों को बहिश्त में उत्पन्न करता है तभी तो कुमारे लड़कों कोभी उत्पन्न करता है। भला! कुमारियों का तो विवाह जो यहाँ से उम्मेदवार होकर गये हैं,उनके साथ खुदा ने लिखा,पर उन सदा रहने वाले लड़कों का किन्हीं कुमारियों के साथ विवाह न लिखा,तो क्या वे भी उन्हीं उम्मेदवारों के साथ कुमारीवत् दे दिये जायेंगे? इसकी व्यवस्था कुछ भी न लिखी। यह खुदा में बड़ी भूल क्यों हुई? यदि बराबर अवस्था वाली सुहागिन स्त्रियां पतियों को पा के बहिश्त में रहती हैं तो ठीक नहीं हुआ,क्योंकि स्त्रियों से पुरुष का आयु दूना,ढाई गुना चाहिये,यह तो मुसलमानों के बहिश्त की कथा है।और नरक वाले सिंहोड़ अर्थात् थोर के वृक्षों को खा के पेट भरेंगे तो कण्टक वृक्ष भी दोज़ख में होंगे तो कांटे भी लगते होंगे और गर्म पानी पियेंगे इत्यादि दुःखदोज़ख में पावेंगे। क़सम का खाना प्रायः झूठे का काम है, सच्चों का नहीं। यदिखुदा ही कसम खाता है तो वह भी झूठ से अलग नहीं हो सकता।