खुदा क्या ईमानदार परीक्षक था?
क्या इससे खुदा ईमानदार परीक्षक साबित किया जा सकता है?
देखिये कुरान में कहा गया है कि-
व अल-ल-म-आदम ल अस्मा………..।।
(कुरान मजीद पारा १ सूरा बकर रूकू ४ आयत ३१)
और (हमने) आदमी ‘‘आदम’’को सब (चीजों के) नाम बता दिये। फिर उन चीजों को फरिश्तों के सामने पेश करके कहा कि अगर सच्चे हो तो हमको इन चीजों के नाम बताओ।
कालू सुब्हान-क ला इल्-म……………….।।
(कुरान मजीद पारा १ सूरा बकर रूकू ४ आयत ३२)
फरिश्ते-बोले-तू पाक है जो तूने हमको बता दिया है। उसके सिवाय हमको कुछ नहीं मालूम सचमुच तू ही जानने वाला और पहचानने वाला है।
का-ल या आदमु अम्बिअ्हुम्……….।।
(कुरान मजीद पारा १ सूरा बकर रूकू ४ आयत ३३)
तब खुदा ने हुक्म दिया कि ऐ आदम! तुम फरिश्तों को इनके नाम बता दो, फिर जब आदम ने फरिश्तों को उन (चीजों) के नाम बता दिए तो खुदा ने फरिश्तों से कहा, क्यों हमने तुमसे नहीं कहा था कि हमको सब पोशिदा बातें मालूम हैं।
समीक्षा
जब एक परीक्षक एक विद्यार्थी को पूछें जाने वाले प्रश्नों के उत्तर बता दे और दूसरों को न बतावे। फिर परीक्षा में वे ही प्रश्न सभी से पूछे और उस एक को पास व दूसरों को फेल कर दे तो क्या उसे ‘‘बेईमान परीक्षक’’नहीं कहा जायेगा? इस प्रकार की परीक्षा लेकर खुदा ने आदम को ‘‘पास’’ व फरिश्तों को ‘‘फेल’’कर दिया। क्या यह खुदा की ईमानदारी का सबूत था?