खुदा अर्श पर बैठता है उसका मालिक है और तख्त पानी पर था
अर्श अर्थात् आसपास पर खुदा बैठता है यदि लेटने की उसकी इच्छा हो जावे तो उसके लिये क्या कोई सोफासैट, पलंग, आराम कुर्सी आदि की भी व्यवस्था है या नहीं? घूमने के लिए सवारी आदि का भी प्रबन्ध होता है या नहीं? आसमान में जिस तख्त पर खुदा बैठता है, उस तख्त की लम्बाई चैड़ाई कितनी है तथा उसका वजन कितना होगा?
देखिये कुरान में कहा गया है कि-
इन्-न रब्ब्कुमुल्लाहुल्लजी……………….।।
(कुरान मजीद पारा ८ सूरा आराफ रूकू ७ आयत ५४)
तुम्हारा परवर्दिगार अल्लाह है जिसने छह दिन में जमीन और आसमान को पैदा किया फिर अर्श पर तख्त के ऊपर जा विराजा।
फ-इन् तवल्लौ फकुल् हस्……….।।
(कुरान मजीद पारा १० सूरा रूकू १६ आयत १२९)
अर्श जो बड़ा है उसका वही मालिक है
व हु-वल्लजी ख-ल कस्समावाति………।।
(कुरान मजीद पारा ११ सूरा रूकू १ आयत ७)
वही है जिसने जमीन और आसमान को छह दिन में बनाया और उसका तख्त पानी पर था।
समीक्षा
अरबी खुदा जब कुन अर्थात् ’’हो जा’’कहकर सब कुछ बना सकता था तो छह दिन तक दुनियां बनाने की भूल न जाने उससे क्यों हो गई? मेहनत करके तख्त पर आराम करने को जा बैठना ठीक ही था, उससे थकावट मिट गई होगी। पर जब खुदा ने तख्त नहीं बनाया होगा तब तक वह किस पर बैठता था? यह प्रश्न ज्यों का त्यों रह गया क्योंकि बनाने से पहले अर्श (तख्त) नहीं होगा। खुदा को तख्त का मालिक बनाने से उसकी इज्जत नहीं बढ़ती है।
जब वह सारे विश्व का मालिक मान लिया गया तो फिर तख्त सूरज, चाँद, जमीन पहाड़ आदि का अलग-अलग मालिक बताना बेकार की बात है और यह भी प्रश्न है कि खुदा बड़ा है या तख्त यदि खुदा बड़ा है तो तख्त पर बैठ नहीं सकेगा। यदि तख्त बड़ा है तो खुदा तख्त से भी छोटा साबित हो गया, यदि दोनों बराबर हैं तो खुदा ‘‘बे मिसाल’’ नहीं रहा। यदि तख्त हमेशा से है तो खुदा और तख्त उम्र की दृष्टि से बराबर हो गये, यदि तख्त पानी पर है तो पानी किस पर है, यह क्यों नहीं बताया गया है?