–न जाने आर्यसमाज के इतिहास तथा उपलधियों से शासन को तथा आर्यसमाज के पत्रों में लेख लिखने वालों को अकारण चिढ़ है अथवा इन्हें सत्य इतिहास का ज्ञान नहीं अथवा ये लोग जान बूझकर जो मन में आता है लिखते रहते हैं। एक ने यह लिखा है कि महात्मा हंसराज 15 अप्रैल को जन्मे। ऋषि के उपदेश भी उन्हें सुना दिये। दूसरे ने सान्ताक्रुज़ समाज के मासिक में यह नई खोज परोस दी है कि हरिद्वार के कुभ मेले में एक माता के पुत्र को शस्त्रधारी गोरों ने गंगा में फैंक दिया। माता बच्चे को बचाने के लिये नदी में कूद पड़ी। पिता कूदने लगे तो गोरों ने शस्त्र——महर्षि यह देखकर ——-। किसी प्रश्नकर्ता ने इस विषय में प्रकाश डालने को कहा। मैंने तो कभी यह लबी कहानी न सुनी और न पढ़ी। इस पर क्या लिखूँ? श्री धर्मेन्द्र जी जिज्ञासु ने भी कहा कि मैं यह चटपटी कहानी नहीं जानता। यह कौन से कुभ मेले की है। यह सपादक जी जानते होंगे। लेखक व सपादक जी दोनों ही धन्य हैं। देहलवी जी का हैदराबाद में मुसलमानों से कोई शास्त्रार्थ हुआ, यह नई कहानी गढ़ ली गई है।
स्वराज्य संग्राम में 80% आर्यसमाजी जेलों में गये। यह डॉ. पट्टाभिसीतारमैया के नाम से बार-2 लबे-2 लेखों में लिखा जा रहा है। डॉ. कुशलदेव जी आदि को तो यह प्रमाण मिला नहीं। वह मुझसे पूछते रहे। कोई सुनता नहीं। स्वतन्त्रता दिवस पर सरकारी भाषण व टी. वी. तो आर्यसमाज की उपेक्षा कर ही रहे थे। आर्यसमाजी पत्रों ने भी अनर्थ ही किया। दक्षिण में किसी समाजी ने श्री पं. नरेन्द्र, भाई श्याम जी, श्री नारायण पवार सरीखे परम पराक्रमी क्रान्तिवीरों का, जीवित जलाये गये आर्यवीरों व वीराङ्गनाओं का नाम तक न लिया।
I am sorry but why Jijasu ji has not completed this article. At to me it does not appears to be complete.
Dhanyawad,
Rajinder Sharma
yah article complete hai mere bandhu…. jigyasu ji ne sawal kiya hai un logo se jo kuch bhi likh dete hain apna naam paane ko…